Friday 8 April 2016

एक अनार – सौ उपचार



अत्यधिक मासिक स्राव :
• अनार के सूखे छिलके पीसकर छान लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच भर की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन करने से रक्तस्राव बंद हो जाता है।
• शरीर के किसी भी भाग से खून निकल रहा हो, उसे रोकने में भी इस विधि का उपयोग किया जा सकता है।
• अनार के थोड़े से छिलकों को सुखा लेते हैं। फिर उसका चूर्ण बनाकर शीशी में भरकर रखें, फिर इसमें से एक चम्मच चूर्ण खाकर ऊपर से पानी पीने से बार-बार खून आने की शिकायत दूर हो जाती है।
हिस्टीरिया, पागलपन :
• 15 अनार के पत्ते, 15 ग्राम गुलाब के ताजे फूल 500 मिलीलीटर पानी में उबालें। चौथाई पानी शेष रहने पर छानकर 20 ग्राम देशी घी मिलाकर रोजाना पीने से हिस्टीरिया और पागलपन के दौरों में लाभ होता है।
गर्भस्राव : 
• लगभग 100 ग्राम अनार के ताजा पत्तों को पीसकर पानी में छानकर पिलाने से और पत्तों का रस पेडू पर लेप करने से गर्भस्राव रुक जाता है।
गर्भिणी की शारीरिक बल की वृद्धि हेतु :
• अनार के पत्तों की चटनी, घिसा हुआ चंदन, थोड़ा-सा दही और शहद मिलाकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भस्थ शिशु व गर्भवती स्त्री की बल वृद्धि होती है।
• खट्टे-मीठे अनार के रस या शर्बत के सेवन से गर्भावस्था की उल्टी शांत हो जाती है तथा मीठे अनार के दाने खाने से गर्भवती स्त्री के कमजोर रहने वाले हृदय और शरीर में सुधार होता है तथा गर्भवती महिला की दुर्बलता भी दूर होती है।
गर्भधारण की क्षमता में वृद्धि : 
• अनार की 1-2 ताजी कली पानी में पीसकर पिलाने से, गर्भधारण शक्ति बढ़ती है तथा प्रदर रोग दूर होता है।
गर्भपात :
• अनार के ताजे 20 ग्राम पत्तों को 100 मिलीलीटर पानी में पीस-छानकर पिलाते रहने से तथा पत्तों को पीसकर पेडू (नाभि) पर लेप करते रहने से गर्भस्राव या गर्भपात का खतरा नहीं रहता है।
• यदि गर्भवती का हृदय कमजोर हो तो उसे मीठे अनार के दाने खिलाएं। इससे गर्भपात की आशंका नहीं रहती है।
गर्भपात करना : 
• अनार के सूखे छिलके की योनि में धूनी देने से गर्भपात हो जाता है।
स्त्रियों के स्तन को सुडौल, सख्त और आकर्षक करना : 
• एक तरोताजा अनार को पीस लें। इसे 200 या 250 मिलीलीटर सरसों के तेल में डालकर गर्म कर लें। इस तेल की मालिश नियमित रूप से स्तनों पर करते रहने से स्त्रियों के स्तन उन्नत, सुडौल, सख्त और सौंदर्ययुक्त बन जाते है।
• अनार की छाल लगभग एक किलो और माजूफल 125 ग्राम को 2 लीटर पानी में डालकर पकायें जब पानी आधा बच जाये तब इसे छानकर रख लें, फिर इसी में 125 मिलीलीटर तिल्ली का तेल डालकर पकाकर स्तनों पर लेप करने से स्तन कठोर होते हैं।
स्तन व शरीर में झुर्रियां या मांस का ढीलापन : 
• अनार के पत्ते, छिलका, फूल, कच्चे फल और जड़ की छाल सबको एक समान मात्रा में लेकर, मोटा, पीसकर, दुगना सिरका, तथा 4 गुना गुलाबजल में भिगायें। 4 दिन बाद इसमें सरसों का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें। तेल मात्र शेष रहने पर छानकर बोतल में भरकर रख लें। इस तेल को रोज स्तनों पर मालिश करें तो स्तनों की शिथिलता में इससे लाभ होता है। इसके साथ ही जिनके शरीर में झुर्रियां पड़ गई हों, मांसपेशियां ढीली पड़ गई हो उन्हें भी इस तेल की मालिश से निश्चित लाभ होता है।
• अनार के पत्तों को कुचलकर 1 लीटर रस निकाल लें, इसमें 500 मिलीलीटर तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें। केवल तेल शेष बचने पर तेल को छानकर बोतलों में भर कर रख लें। दिन में 2-3 बार मालिश करने से मांसपेशियों के ढीलेपन में लाभ होता है।
• अनार के फल के 1 किलो छिलके को 4 लीटर पानी में डालकर उबाल लें, जब पानी 1 लीटर शेष रह जाये तो उसमें 250 मिलीलीटर सरसों का तेल डालकर तेल गर्म कर लें। इस तेल की मालिश करने से कुछ ही दिनों में शरीर की मांसपेशियों का ढीलापन दूर हो जाता है और चेहरे की झुर्रियां मिटती हैं तथा त्वचा में निखार आ जाता है।
स्त्रियों का प्रदर रोग : 
• 20 ग्राम अनार के पत्ते, 5 पीस कालीमिर्च, 1 ग्राम सौंफ को एक साथ लेकर पानी के साथ सेवन करने से प्रदर, गर्भाशय की बीमारी की सूजन ठीक हो जाती है।
• 20 ग्राम अनार के पत्ते, 3 ग्राम कालीमिर्च, 2 कली नीम की पत्तियां तीनों को पीसकर इसका 2 खुराक बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर में लाभ होता है।
• अनार के फूलों को मिश्री के साथ पीसकर प्रदर रोग में सेवन करने से लाभ होता है।
श्वेत प्रदर :
• अनार के ताजे हरे पत्ते 30 पीस तथा 10 पीस कालीमिर्च पीसकर आधा गिलास पानी में घोल-छानकर रोजाना सुबह-शाम पीने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
• 10 ग्राम अनार के कोमल पत्ते और 7-8 दाने कालीमिर्च को लेकर 200 मिलीलीटर पानी में देर तक उबालें। फिर पानी को छानकर पी लें। इसे कुछ सप्ताह तक सेवन करने से श्वेतप्रदर मिट जाता है।
• अनार के छिलके के चूर्ण को चावल के धोवन में मिलाकर सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।
रक्तप्रदर : 
• 10-10 ग्राम अनार के फूल, गोखरू और शीतलचीनी लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर 3 ग्राम चूर्ण रोजाना पानी के साथ सेवन करने से रक्तप्रदर में बहुत फायदा होता है।
• 3 ग्राम अनार को शहद में मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
योनि का संकोचन : 
• अनार की छाल, कूठ, धाय के फूल, फिटकरी का फूला, माजूफल, हाऊबेर, और लोधा को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर बने चूर्ण को शराब में मिलाकर योनि पर लेप करने से योनि सिकुड़ जाती है।
चेहरे का सौंदर्य :
• गुलाब जल में अनार के छिलकों के बारीक चूर्ण को मिलाकर अच्छी तरह लेप बनाएं। इस लेप को सोते समय नियमित रूप से लगाकर सुबह चेहरा धो लें। इससे दाग के निशान, झांइयों के धब्बे दूर हो जाएंगे और चेहरे में चमक आ जायेगी। (अनार के छिलकों का चूर्ण आप ‘नेचर केयर सोसाइटी’ से भी मंगा सकते हैं)
• अनार के ताजे हरे 100 मिलीलीटर पत्तों के रस को 1 किलो सरसों में मिला लेते हैं। चेहरे पर इस तेल की मालिश करने से चेहरे की कील, झांईयां और काले धब्बे नष्ट हो जाते हैं।
पेट दर्द : 
• अनार के दानों पर कालीमिर्च और नमक डालकर चूसें। इससे पेट दर्द बंद हो जाता है। सुबह लेने से भूख लगती है और पाचनशक्ति बढ़ती है।
• नमक और कालीमिर्च का पाउडर अनार के दानों में मिलाकर सेवन करने से पेट का दर्द नष्ट हो जाता है।
• अनार के 30 मिलीलीटर रस में थोड़ी-सी भुनी हुई हींग और कालानमक डालकर सेवन करने से पेट के दर्द की बीमारी में आराम मिलता है।
• आधा चम्मच अनार के छिलकों के बारीक चूर्ण को शहद के साथ चाटने से लाभ होता है।
• पके अनार के दानों पर नमक और कालीमिर्च डालकर चाटने से पेट के दर्द में लाभ होगा।
सभी प्रकार के दर्द : 
• एक अनार को निचोड़कर प्राप्त हुए रस में त्रिकुटा और सेंधानमक का चूर्ण मिलाकर पीने से `त्रिदोषज शूल´ यानी वात, कफ और पित्त के कारण होने वाली पीड़ा समाप्त हो जाती है।
पक्वाशय का जख्म :(अल्सर)
• अनार का रस और आंवले का मुरब्बा पीने से लाभ होता है।
पेट के अंदर की सूजन और जलन : 
• अनार के दाने 60 ग्राम को 1 लीटर पानी में डालकर मिट्टी के बर्तन में रख लें, फिर 2 से 3 घंटे के बाद मिश्री मिलाकर पानी में मिलाकर पीने से पेट की जलन कम हो जाती है।
अम्लपित्त : (एसिडिटी)
• 100 ग्राम अनारदाना, 50 ग्राम दालचीनी, 2 लाल इलायची, 50 ग्राम तेजपत्ता, 100 ग्राम मिश्री, 10 ग्राम जीरा और 10 ग्राम धनिया के बीज को पीसकर चूर्ण बना लें, इस मिश्रण को 5-5 ग्राम की मात्रा में दिन में सुबह, दोपहर और शाम (3 बार) ठंडे पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
आंवयुक्त पेचिश : 
• अनार का जूस पेचिश के रोगी को पिलाने से पेचिश में आंव, खून आदि आना बंद हो जाता है।
• रोगी को अगर पेचिश हो तो उसे अनार के जूस में गन्ने का जूस मिलाकर पिलाने से रोगी को लाभ मिलता है।
• अनार के पेड़ की छाल के काढ़े में सोंठ और चंदनचूरा डालकर पीने से खूनी पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
आंव (एक तरह का सफेद चिकना पदार्थ) : 
• लगभग 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग, दोनों को पीसकर 1 गिलास पानी में दस मिनट तक उबालें, फिर छान कर आधा-आधा कप प्रतिदिन तीन बार पीयें। दस्त और पेचिश में लाभ होगा। जिन व्यक्तियों के पेट में आंव की शिकायत बनी रहती है, उन्हें इसका नियमित सेवन विशेष रूप से लाभकारी होता है।
कब्ज : 
• अनार में शर्करा (शुगर) और सिट्रिक अम्ल काफी मात्रा में होता है। यह अत्यंत पौष्टिक, स्वादिष्ट और लौह-तत्व से भरपूर होता है। कब्ज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बीज समेत अनार का सेवन करना अच्छा रहता है और इसके रस के सेवन से उल्टी आना बंद हो जाती है।
• अनारदाना 100 ग्राम, दालचीनी 20 ग्राम, इलायची 20 ग्राम, तेजपत्ता 20 ग्राम, सोंठ 40 ग्राम, कालीमिर्च 40 गाम, पीपल 40 ग्राम को मिलाकर अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 250 ग्राम पुराना गुड़ मिला दें। इसे 4 ग्राम रोजाना सुबह लें। इससे कब्ज दूर हो जाती है।
उल्टी :
• अनार के बीज को पीसकर उसमें थोड़ी-सी कालीमिर्च और नमक मिलाकर खाने से पित्त की वमन और घबराहट में आराम मिलता है।
• अनार का रस पीने से गर्भवती स्त्रियों की वमन विकृति (उल्टी) नष्ट होती है।
• अनार के रस में शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाता है।
• सूखे अनारदाने को पानी में भिगो दें। थोड़ी देर के बाद इस पानी को पीने से उल्टी आने के रोग मे लाभ होता है।
हिचकी : 
• 20 ग्राम अनार के शर्बत में छोटी इलायची के बीज, वंशलोचन, सूखा पोदीना, जहरमोहरा खताई और अगुरू 1-1 ग्राम तथा पीपल लगभग आधा ग्राम का बारीक चूर्ण मिलाकर चटनी बना लेते हैं। आवश्यकतानुसार थोड़ी-थोड़ी चटनी चाटने से हिचकी शीघ्र दूर होती है।
पेट के कीड़े :
• अनार की जड़ और तने की छाल का काढ़ा बनाकर पिलाना चाहिए अथवा अनार की छाल के काढ़े में तिल का तेल मिलाकर 3 दिन तक पिलाना चाहिए। इससे पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।
• छाया में सुखाये हुए अनार के पत्तों को बारीक पीस छानकर 6 ग्राम की मात्रा में सुबह गाय की छाछ के साथ या ताजे पानी के साथ प्रयोग करें। इससे पेट के सभी कीड़े दूर हो जाते हैं।
• अनार की जड़ की छाल 10 ग्राम, वायबिडंग और इन्द्रजौ 6-6 ग्राम कूटकर काढ़ा तैयार कर लेते हैं। इसके बाद काढ़े का सेवन करने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
• खट्टे अनार के छिलके और शहतूत की 20-20 ग्राम मात्रा को 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर पीने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
• अनार के सूखे छिलकों का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार नियमित रूप से कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
• अनार के फल की छाल को उतार लें, फिर इससे काढ़ा बनाकर उसमें 1 ग्राम तिल का तेल मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
• 50 ग्राम अनार की जड़ की छाल को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें, जब पानी 100 ग्राम की मात्रा में बचे, तब इस बने काढे़ को दिन में 3-4 दिन बार पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
• 3 ग्राम अनार के छिलकों का चूर्ण दही या छाछ (मट्ठे) के साथ सेवन करें। अनार की छाल को 24 घंटे पानी में भिगोकर रख दें, फिर उसी पानी को उबालकर खाली पेट सुबह पीने से पेट की फीताकृमि (कीड़े) मर जाते हैं।
अरुचि (भोजन अच्छा न लगना) : 
• अनार के दाने चबाकर उनका रस निगलने से अरुचि नष्ट हो जाती है।
• कालीमिर्च आधा चम्मच, सेंका हुआ जीरा 1 चम्मच, सेंकी हुई हींग चने की दाल के बराबर, सेंधानमक स्वादानुसार, अनारदाना 70 ग्राम इन सबको पीस लें। यह स्वादिष्ट अनारदाने का चूर्ण बन जाएगा। इसके खाने से अरुचि नष्ट हो जाती है।
• 14 मिलीलीटर अनार के रस में 1 ग्राम कालानमक मिलाकर अथवा भुना जीरा मिलाकर शहद या चीनी के साथ सेवन करें। इससे अजीर्ण और अरुचि नष्ट हो जाती है।
• मीठे अनार के रस में शहद मिलाकर पिलाने से अरुचि में लाभ होता है।
बुखार के कारण, अरुचि : 
• पके हुए अनार के 10 ग्राम रस में 7 ग्राम शहद और 4 ग्राम गाय का घी मिलाकर सुबह-शाम देना चाहिए।
अजीर्ण :
• 3 चम्मच अनार के रस में 1 चम्मच जीरा और इतना ही गुड़ मिलाकर भोजन के बाद सेवन करने से अजीर्ण का रोग नष्ट हो जाता है।
• छाया में सुखाया हुआ अनार के पत्ते का चूर्ण 40 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम दोनों को महीन पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 4-4 ग्राम सुबह-शाम भोजन से पहले पानी के साथ सेवन करने से अजीर्ण दूर होता है।
अजीर्ण से उत्पन्न अतिसार (दस्त) :
• आधा ग्राम अनार की छाल का चूर्ण, आधा ग्राम जायफल और 1 ग्राम का चौथा भाग केसर को मिलाकर उसका चूर्ण बनाकर शहद के साथ देना चाहिए। इससे एक ही बार में लाभ होगा। यदि न हो, तो दुबारा देना चाहिए।
अतिसार (दस्त) : 
• 10 ग्राम अनार की छाल, 10 ग्राम पुराना गुड़ और 5 ग्राम जीरा मिलाकर देना चाहिए। इससे 1-2 दिन में ही अतिसार में लाभ होता है।
• 3-6 ग्राम अनार के जड़ की छाल या अनार के छिलके का चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार देना चाहिए। इससे अतिसार नष्ट हो जाता है।
• अनार फल के छिलके के 2-3 ग्राम चूर्ण का सुबह-शाम ताजे पानी के साथ प्रयोग करने से अतिसार तथा आमातिसार में लाभ होता है।
• अनार का छिलका 20 ग्राम को 1 लीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर रख लें, फिर इसी बने काढ़े को छानकर पीने से अतिसार (दस्त) में खून का आना बंद हो जाता है।
• अनार के छिलके 50 ग्राम को लगभग 1.2 मिलीलीटर दूध की मात्रा में डालकर धीमी आग पर रख दें, जब दूध 800 मिलीलीटर बच जाये इसे एक दिन में 3 से 4 बार खुराक के रूप में पीने से अतिसार यानी दस्त समाप्त हो जाते हैं।
• अनार की छाल का 100 ग्राम चूर्ण, 50 ग्राम जीरा, 3 ग्राम सेंधानमक को बारीक पीसकर 1 चम्मच की मात्रा में चूर्ण को लेकर 1 दिन में सुबह, दोपहर और शाम को पीने से पतले दस्तों का आना बंद हो जाता है।
• अनार के रस को लगभग 2 से 3 ग्राम की मात्रा में 4 या कुछ दिनों तक पीने से अतिसार का आना रुक जाता है।
• अनार के छिलकों को सुखाकर 15 ग्राम की मात्रा में लेकर 2 लौंग को डालकर पीसकर 1 गिलास पानी में डालकर उबाल लें, जब पानी आधा रह जाये तब इसका सेवन 1 दिन में लगभग 3-3 घंटे के बाद करने से दस्त, पेचिश और पेट में से मल के द्वारा आने वाली आंव समाप्त हो जाती है।
रक्तातिसार (दस्त में खून का आना) : 
• कुड़ाछाल 80 ग्राम को कूटकर 640 मिलीलीटर पानी में पकायें। चौथाई शेष रहने पर उतारकर छान लें। अब इसमें 160 मिलीलीटर अनार का रस मिलाकर पुन: पकावें। पानी सीरे के समान गाढ़ा हो जाये तो उतारकर रख लें। 20 मिलीलीटर छाछ के साथ सेवन करने से तेज खूनी दस्त (रक्तातिसार) में लाभ होता है।
• सौंफ, अनारदाना और धनिये का चूर्ण मिश्री में मिलाकर 3-3 ग्राम दिन में 3 से 4 बार लेने से खूनी दस्त (रक्तातिसार) के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
हैजा : 
• अनार के 6 ग्राम हरे पत्तों को 20 मिलीलीटर पानी के साथ पीस छानकर उसमें 20 ग्राम चीनी का शर्बत मिलाकर 1-1 घंटे बाद तब तक पिलायें जब तक हैजा पूर्णरूप से ठीक न हो जाए।
• खट्टे अनार का रस 10-15 मिलीलीटर नियमित रूप से सेवन करना हैजे में गुणकारी है। रोग शांत होने पर अनार, नींबू या मिश्री का शर्बत, फलों का रस, बर्फ डालकर दही की पतली लस्सी, साबूदाना, अनन्नास का जूस आदि देना चाहिए।
अधिक प्यास :
• अधिक प्यास की शिकायत होने पर अनारदाने खाने चाहिए अथवा उनका रस निकालकर तुरन्त ही थोड़ा-थोड़ा पीना चाहिए।
• 60 ग्राम अनारदाने को 2 लीटर पानी में डालकर मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। 2 से 3 घंटे बाद थोड़े-थोड़े पानी में मिश्री मिलाकर पिलाने से प्यास और गले की जलन मिट जाती है।
पीलिया :
• अच्छे अनार के 20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम देना चाहिए। इससे थोड़े दिनों में ही पीलिया ठीक हो जाता है।
• 50 मिलीलीटर अनार के रस में रात को साफ लोहे का टुकड़ा डुबो दें। सुबह लोहे का टुकड़ा निकालकर, छानकर स्वादानुसार मिश्री और 25 मिलीलीटर पानी मिलाकर पी जायें। इससे पीलिया में लाभ होगा।
• छाया में सुखाए हुए अनार के पत्ते के महीन चूर्ण की 6 ग्राम मात्रा को सुबह गाय की छाछ तथा शाम को उसी छाछ के पनीर के साथ सेवन कराने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
बवासीर (अर्श) : 
• 10 ग्राम अनार के छिलके का चूर्ण बनाकर इसमें 100 ग्राम दही मिलाकर खाने से बवासीर ठीक हो जाती है या अनार के छिलकों का चूर्ण 8 ग्राम, ताजे पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम प्रयोग करें।
• अनार के छालों का काढ़ा बनाकर उसमें सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से बवासीर रोग ठीक होता है तथा खून का गिरना बंद होता है।
• अनार के पत्ते पीसकर टिकिया बना लें और इसे घी में भूनकर गुदा पर बांधें। इससे मस्सों के जलन, दर्द तथा सूजन मिट जाती है।
• अनार के छिलकों का चूर्ण नागकेशर के साथ मिलाकर सेवन करने से बवासीर में खून का बहना बंद होता है। अनार का रस पीने से भी बवासीर में लाभ होता है।
भगन्दर : 
• अनार के पेड़ की छाल 10 ग्राम लेकर उसे 200 मिलीलीटर जल के साथ आग पर उबाल लें। उबले हुए जल को किसी वस्त्र से छानकर भगन्दर को धोने से जख्म नष्ट होते हैं।
• मुट्ठी भर अनार के ताजे पत्ते को दो गिलास पानी में मिलाकर गर्म करें। आधा पानी शेष रहने पर इसे छान लें। इस उबले मिश्रण को पानी में हल्का गर्म करके सुबह-शाम गुदा को सेंकने और धोने से भगन्दर ठीक होता जाता है।
दुबलापन : 
• अनार रक्तवर्धक होता है। इसके सेवन से त्वचा चिकनी बनती है। रक्त का संचार बढ़ता है। शरीर को मोटा करती है। अनार मूर्च्छा में लाभदायक, हृदय बल-कारक और खांसी नष्ट करने वाली होती है। इसका शर्बत हृदय की जलन और बेचैनी, आमाशय की जलन, मूत्र की जलन, उल्टी, जी मिचलाना, खट्टी डकारें, हिचकी, घबराहट, प्यास आदि शिकायतों को दूर करता है। अनार का रस निकालकर पीने से शरीर की शक्ति बढ़ती है। और रक्त की वृद्धि होती है।
• अनार को खाने से खून साफ होता है, खून का संचार बढ़ता और शरीर मोटा हो जाता है।
नाक से खून आना (नकसीर) :
• अनार के रस को नाक में डालने से नाक से खून आना बंद हो जाता है।
• अनार के फूल और दूर्वा (दूब नामक घास) के मूल रस को निकालकर नाक में डालने और तालु पर लगाने से गर्मी के कारण नाक से निकलने वाले खून का बहाव तत्काल बंद हो जाता है।
• 100 ग्राम अनार की हरी पत्तियां, 50 ग्राम गेंदे की पत्तियां, 100 ग्राम हरा धनिया और 100 ग्राम हरी दूब (घास) को एक साथ पीसकर पानी में मिलाकर शर्बत बना लें। इस शर्बत को दिन में 4 बार पीने से नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।
• 100 मिलीलीटर अनार का रस नकसीर (नाक से खून बहना) के रोगी को कुछ दिनों तक लगातार पिलाने से लाभ होता है।
• आधे कप खट्टे-मीठे अनार के रस में 2 चम्मच मिश्री मिलाकर रोजाना दोपहर के समय पीने से गर्मी के मौसम की नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।
• नथुनों में अनार का रस डालने से नाक से खून आना बंद हो जाता है।
• अनार के छिलके को छुहारे के पानी के साथ पीसकर लेप करने से सूजन में तथा इसके सूखे महीन चूर्ण को नाक में टपकाने से नकसीर में लाभ होता है।
बहरापन : 
• आधा लीटर अनार के पत्तों का रस, आधा लीटर बेल के पत्तों का रस और 1 किलो देशी घी को एक साथ मिलाकर आग पर पकने के लिये रख दें। पकने के बाद जब केवल घी ही बाकी रह जायें तो इसमें से 2 चम्मच घी रोजाना दूध के साथ रोगी को खिलाने से बहरेपन का रोग दूर हो जाता है।
• 20-20 मिलीलीटर अनार और बेल के पत्तों के रस को 50 ग्राम घी में डालकर बहुत देर तक गर्म कर लें। फिर इसे छानकर लगभग 10 ग्राम घी या 200 मिलीलीटर दूध के साथ सुबह और शाम को पीने से बहरापन दूर हो जाता है।
स्वर भंग /गले के रोग : 
• अनार के ताजे पत्तों के 1 मिलीलीटर रस में मिश्री मिलाकर, शर्बत बना लें, 20-20 मिलीलीटर दिन में 2-3 बार चाटने से आवाज का भारीपन, खांसी, नजला तथा जुकाम दूर होता है।
• अनार के छाया में सूखे पत्तों के महीन चूर्ण में शहद या गुड़ मिलाकर झरबेरी जैसी गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। इन गोलियों को मुंह में रखकर चूसना चाहिए। इससे गले के रोग नष्ट हो जाते हैं।
• अनार के छिलकों को 10 गुना पानी में मिलाकर काढ़ा बना लें। और इसमें लौंग और फिटकरी को पीसकर मिला लें। इसके गरारे करने से गले की खरास (गले का सूखना) और स्वर-भंग (आवाज का बैठना) रोग ठीक हो जाता है।
दांतों के रोग / दांत से खून आना : 
• अनार तथा गुलाब के सूखे फूल, दोनों को पीसकर मंजन करने से मसूढ़ों से पानी आना बंद हो जाता है। केवल अनार की कलियों के चूर्ण का मंजन करने से मसूढ़ों से खून आना बंद हो जाता है।
• मुख और मसूढ़ों के विकार में अनार के जड़ के काढ़े से कुल्ले कराने से लाभ होता है।
• मीठे अनार के छाया में सूखे 8-10 पत्तों के चूर्ण के मंजन से दांतों का हिलना, मसूढ़ों से खून और पीव का आना या सूजन होना आदि दांतों के विकार नष्ट हो जाते हैं।
• अनार के फूल छाया में सुखाकर बारीक पीस लेते हैं। इसे मंजन की तरह दिन में 2 या 3 बार दांतों में मलने से दांतों से खून आना बंद होकर दांत मजबूत हो जाते हैं।
मुंह की दुर्गन्ध : 
• मुंह से दुर्गन्ध आती हो अथवा मुंह से पानी आता हो तो 4 ग्राम अनार के पिसे हुए छिलकों को सुबह-शाम ताजा पानी से लेने तथा छिलका उबालकर कुल्ले करने से लाभ होता है।
मुंह के छाले : 
• लगभग 10 ग्राम अनार के पत्तों को 400 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह एक चौथाई शेष बचे तो इस काढे़ से कुल्ले करने से खुनाक रोग और मुंह के छालों में लाभ होता है।
• अनार फल के छिलके को पीसकर छालों पर लगाने से कुछ ही दिन में छाले सूख जाते हैं। इस पिसी हुई मलहम को रोजाना 2 बार लगाएं।
मुंहासे : 
• अनार के बीजों का लेप बनाकर मुंहासों पर लगाना चाहिए। इससे मुंहासे नष्ट हो जाते हैं।
दाद : 
• अनार के पत्तों को पीसकर दिन में 2 बार दाद पर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
• अनार के पत्तों को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर रोजाना 6 ग्राम ताजे पानी के साथ पीने से दाद और खून के रोग ठीक हो जाते हैं।
व्रण (घाव) : 
• अनार के फूलों की कलियां, जो निकलते ही हवा के झोकों से नीचे गिर पड़ती हैं, इन्हें जलाकर क्षतों (जख्मों, घावों) पर बुरकने से वे शीघ्र ही सूख जाते हैं।
• अनार के 50 ग्राम पत्तों को 1 लीटर पानी में उबालकर चौथाई शेष रहने पर व्रणों (घावों) को धोने से विशेष लाभ होता है।
• अनार के 8-10 पत्तों के पेस्ट का लेप उपदंश के घावों पर करने से बहुत लाभ होता है। साथ ही साथ इसके पत्तों का चूर्ण 10 से 20 ग्राम का सेवन भी करना चाहिए।
• यदि नाक, कान में घाव हो या पीड़ा हो तो अनार की जड़ का काढ़ा 2-2 बूंद डालने से या पिचकारी देने से लाभ होता है।
• अगर फोड़े में जलन हो रही हो तो उसे दूर करने के लिए अनार की पत्तियों को पीसकर लगाने से भी जलने से बना घाव सही हो जाता है।
कोढ़ के घाव : 
• अनार के पत्तों को पीसकर लगाने से कोढ़ के जख्म, दाद और बर्र या बिच्छू दंश आदि में लाभ होता है।
सफेद दाग : 
• अनार का सेवन इस रोग में बहुत ही लाभदायक है। अनार के पत्तों के रस को शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
• 10 ग्राम लाल चंदन और 10 ग्राम अनारदाना को पीसकर सहदेवी के रस में मिलाकर गोलियां बना लें। इन गोलियों को घिसकर पानी के साथ लेप करने से बहुत लाभ होता है।
• अनार के पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें और कपड़े में छान लें। इस चूर्ण की 8-8 ग्राम सुबह और शाम ताजे पानी से फंकी लें।
दाह (जलन) : 
• अनार के 10-12 ताजे पत्तों को पीसकर हथेली और पांव के तलुवों पर लेप करने से हाथ-पैरों की जलन में आराम मिलता है।
• 250 ग्राम अनार के ताजे पत्तों को पांच लीटर पानी में उबालें तथा 4 लीटर पानी शेष रहने पर नहाने के लिए प्रयोग करने से गर्मी के सीजन की पित्ती शांत होती है।
• अनार और इमली को एक साथ पीसकर शरीर पर लगाने से जलन समाप्त हो जाती है।
खुजली : 
• मीठे अनार के 8-10 ताजे पत्तों को पीसकर, थोड़ा सरसों का तेल मिलाकर मालिश करने से खुजली में आराम हो जाता है।
• एक लीटर अनार के पत्तों का रस, 1 लीटर सत्यानाशी (पीला धतूरा) का रस, 1 लीटर गोमूत्र, 2 लीटर काले तिलों का तेल, 500 मिलीलीटर अनार के पत्तों की लुगदी (चटनी) को मिलाकर आग पर पकाने के लिये रख दें, जब पकते-पकते केवल तेल रह जाय, तब इसे उतारकर ठंडा कर लें और छान लें। यह तेल लगाने से कण्ठमाला (गले की गांठे), भगन्दर, कोढ़ के दाग (निशान), दाद और चेहरे के काले निशान मिट जाते हैं।
खांसी : 
• अनारदाना सूखा 100 ग्राम, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, दालचीनी, तेजपात, इलायची 50-50 ग्राम को चूर्ण कर उसमें बराबर मात्रा में चीनी मिला लें। इसे दिन में दो बार शहद के साथ 2-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से खांसी, श्वास, हृदय तथा पीनस आदि रोग दूर होते हैं। यह पाचनशक्तिवर्द्धक और रुचिकाकर होता है।
• अनार के छिलकों को पीसकर 3-4 दिन तक 1-1 चम्मच बच्चों को सुबह-शाम देने से खांसी ठीक हो जाती है।
• 10-10 ग्राम अनार की छाल, काकड़ासिंगी, सोंठ, कालीमिर्च पीपल और 50 ग्राम पुराना गुड़ लेते हैं। इन सभी को एक साथ पीसकर और छानकर 1-1 ग्राम की छोटी-छोटी गोलियां बना लेते हैं। इस गोली को मुंह में रखकर चूसने से खांसी के रोग मे लाभ मिलता है।
• 80 ग्राम अनार के छिलके और 10 ग्राम सेंधानमक में पानी डालकर गोलियां बना लेते हैं। इस 1-1 गोली को दिन में 3 बार चूसने से खांसी ठीक हो जाती है।
• अनार के फल के छिलके को मुंह में रखकर नमक या केवल चूसने से भी खांसी में लाभ होता है।
• अनार का छिलका चूसने से, या पानी में भिगोकर बच्चों को पिलाने से खांसी में लाभ होता है।
• अनार का छिलका 40 ग्राम, पीपल और जवाखार 6-6 ग्राम तथा गुड़ 80 ग्राम की चाशनी बनाकर उसमें सभी का महीन चूर्ण मिलाकर लगभग आधा ग्राम की गोली बनाकर 2-2 गोली दिन में 3 बार गर्म पानी से सेवन करें। इसमें कालीमिर्च 10 ग्राम मिला लेने से और भी उत्तम लाभ होता है।
• अनार की सूखी छाल पांच ग्राम बारीक पीसकर कपड़े से छानकर उसमें 0.10 ग्राम कपूर भी मिला लें। यह चूर्ण दिन में 2 बार पानी में मिलाकर पीने से भयंकर बिगड़ी हुई हठीली खांसी भी दूर हो जाती है।
श्वास या दमा रोग : 
• अनार के दानों को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें और 3 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर दिन में 2 बार खाने से अस्थमा रोग ठीक हो जाता है।
• अनार के फूल 10 ग्राम, कत्था 10 ग्राम, कपूर 2 ग्राम और लौंग के 4 पीस आदि सभी को पान के रस में घोंटकर चने के बराबर आकार की गोलियां बना लेते हैं। 2-2 गोली सुबह-शाम को चाटनी चाहिए।
• अनार पकी हुई लेकर उसमें सात जगह चाकू से गहरे चीरे (1 इंच लम्बे) लगाकर प्रत्येक चीरे में एक बादाम अंदर दबा देते हैं। उस अनार को फिर मलमल के कपड़े से बांधकर गर्म राख में दबा देते हैं। इसे पूरी रात राख में ही दबा रहने देते हैं। सुबह अनार को वापस निकालकर 2 ग्राम मिश्री के साथ सातों बादामों को पीसकर 7 दिनों तक खाने से दमा के रोगी को राहत मिलती है।
क्षय (टी.बी) के रोग :
• पके हुए स्वादिष्ट अनार के 200 मिलीलीटर रस में 40 ग्राम छोटी पीपल का चूर्ण, 40 ग्राम जीरे का चूर्ण, 40 ग्राम सोंठ का चूर्ण, 40 ग्राम दालचीनी का चूर्ण और 10 ग्राम शुद्ध केसर डालकर 200 ग्राम उत्तम पुराना गुड़ मिलाएं, फिर सबको एकत्र करके जलाकर उसमें 10 ग्राम इलायची का चूर्ण डालें और 5-5 ग्राम वजन की गोलियां बनाएं फिर रोज सुबह-शाम 250 मिलीलीटर दूध के साथ अपनी पाचन शक्ति के अनुसार लेना चाहिए। इससे टी.बी का रोग नष्ट हो जाता है।
• अनार के 200 मिलीलीटर रस में पीपल, सफेद जीरा, सोंठ और दालचीनी का चूर्ण 40-40 ग्राम, उत्तम केशर 10 ग्राम, पुराना गुड़ 200 ग्राम, हल्की आंच पर पकायें, जब गोली बनने योग्य गाढ़ा हो जाये, तो नीचे उतारकर 10 ग्राम छोटी इलायची का चूर्ण डालकर 6-6 ग्राम की गोलियां बनाकर, सुबह-शाम 1-1 गोली बकरी के दूध के साथ सेवन करें।
• यदि कमजोरी अधिक हो, परन्तु दस्त और खांसी न हो तो, ताजे अनार का रस जितना पी सकें पिलायें। इससे टी.बी का रोग नष्ट हो जाता है।
• यदि खांसी हो तो अनार का रस 2-2 चम्मच दिन में 3-4 बार पिलाये |
पेशाब का अधिक मात्रा में आना (बहुमूत्र) :
• 1 चम्मच अनार के छिलकों का चूर्ण एक कप पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। इससे बहुमूत्र का रोग नष्ट हो जाता है।
पेशाब के साथ धातु का जाना (मूत्राघात) : 
• लगभग 50 ग्राम अनार के रस में छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण आधा-आधा ग्राम मिलाकर पीने से मूत्राघात में बहुत लाभ होता है।
• अनार के रस में छोटी इलायची के बीज और सोंठ का चूर्ण मिलाकर पिलाने से मूत्राघात में बहुत लाभ मिलता है।
• अनार के पत्ते 10 ग्राम और हरा गोखरू 10 ग्राम दोनों को 150 मिलीलीटर पानी में पीस-छानकर सेवन करने से मूत्राघात की शिकायत दूर हो जाती है।
स्वप्नदोष :
• अनार के सूखे पीसे हुए छिलके के बारीक चूर्ण को 1 चम्मच की मात्रा में रात को सोने से पहले ठंडे पानी के साथ फंकी के रूप में लेने से सोते समय पुरुष के शिश्न से धातु का आना (स्वप्नदोष) बंद हो जाता है।
• अनार का पिसा हुआ छिलका 5-5 ग्राम सुबह-शाम पानी से लें।
• अनार के छिलके का रस शहद के साथ रोजाना सुबह-शाम लेने से स्वप्नदोष दूर हो जाता है।
उपदंश (सिफिलिस) : 
• अनार के 100 ग्राम ताजे पत्ते कुचलकर 1 लीटर पानी में उबालें, जब आधा लीटर रह जाये तो छानकर 2 से 3 बार उपदंश के घाव पर लगायें। इससे उपदंश के घाव ठीक हो जाते हैं।
• अनार के पत्ते छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। 10-10 ग्राम चूर्ण को सुबह-शाम पानी के साथ खाने से उपदंश में लाभ होता है।
• अनार के जड़ की छाल का 5-10 ग्राम सूखा चूर्ण बुरकने से उपदंश के घावों में लाभ होता है।
उच्चरक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) :
• अनार का रस उच्च रक्तचाप कम करता है। यह धमनियों के सिकुड़ने को कम करता है। रोज अनार का रस पीने से बाईपास सर्जरी से बचा जा सकता है।
दिल की धड़कन : 
• अनार के ताजे पत्तों को 10 ग्राम में पीसकर 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर, उस पानी को छानकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से तेज धड़कन की समस्या समाप्त होती है।
• अनार के ताजे 50 पत्ते पीस कर आधा कप पानी में घोल कर छान लें। इस तरह तैयार किया अनार के पत्ते का घोल सुबह-शाम पीने से हृदय की धड़कन में लाभ होता है।
• छाया में सुखाये हुए अनार के छिलके, दही, नीम के पत्ते, छोटी इलायची और गेरू इन सबका चूर्ण बना लें। इसे पानी के साथ 50 ग्राम की मात्रा में लेने से हृदय की धकड़न में लाभ होता है।
आंत्रिक ज्वर (टायफाइड) :
• अनार के पत्तों के काढे़ में 500 मिलीग्राम सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से आंत्रिक ज्वर में लाभ होता है।
लू लगना : 
• लगभग 30 से 50 मिलीलीटर पानी के साथ अनार का रस 3 से 4 घंटे के अंतर पर पिलाने से लू से छुटकारा पाया जा सकता है। रोगी के ठीक होने पर भी अनार का रस दिन में 3 बार देना चाहिए।
पागलपन / मिर्गी : 
• अनार के पत्ते और गुलाब के ताजे फूल 10-10 ग्राम (ताजे फूलों के अभाव में सूखे फूल 5 ग्राम) लें। इसे 500 मिलीलीटर पानी में पकायें, जब यह 250 मिलीलीटर शेष बचे तो इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलाकर गर्म ही गर्म सुबह-शाम पिलाने से पागलपन और मिर्गी में लाभ होता है।
• अनार के 20 मिलीलीटर पत्तों के काढे़ में 10-10 ग्राम गाय का घी और चीनी मिलाकर पिलाने से मिर्गी में लाभ होता है।
मूर्च्छा (बेहोशी) : 
• अनार, दही का पानी, राख, धान की खीलें, चीनी और श्वेत कमल इन सबका ठंडा काढ़ा पिलाने से बेहोशी खत्म हो जाती है।
अनिद्रा : 
• अनार के ताजे पत्ते 20 ग्राम की मात्रा में लेकर 400 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह 100 मिलीलीटर शेष रह जाये तो इसमें गर्म दूध मिलाकर पीयें। इससे शारीरिक व मानसिक थकावट मिटती है और अनिद्रा रोग भी मिटता है।
सिर का दर्द : 
• अनार के छाया में सुखाये हुए आधा किलो पत्तों में आधा किलो सूखा धनिया मिलाकर महीन चूर्ण कर लें, इसमें 1 किलो गेहूं का आटा मिलाकर, 2 किलो गाय के घी में भून लें, ठंडा होने पर 4 किलो चीनी मिला लें। सुबह-शाम गर्म दूध के साथ 50 ग्राम तक सेवन करने से सिर दर्द और सिर चकराना दूर होता है।
• अनार की छाल को घिसकर सिर पर लेप करें, इससे सिर का दर्द तथा आधाशीशी (माइग्रेन) में भी लाभ होता है।
• लगभग 20 ग्राम अनार की कली और 10 ग्राम शर्करा को मिलाकर बारीक पीस लें। इस चूर्ण को सूंघने से सिर दर्द ठीक हो जाता है।
• अनार के पत्तों और सफेद चंदन को पानी में घिसकर माथे पर लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
बालों का झड़ना : 
• अनार के ताजे हरे पत्तों के 100 मिलीलीटर काढे़ में आधा किलो सरसों का तेल मिलाकर गर्म कर लेते हैं। इस तेल को सिर में लगाने से सिर का गंजापन दूर होता है तथा बालों का झड़ना रुकता है।
गंजापन : 
• अनार के पत्ते पानी में पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन दूर हो जाता है।
नाखून पीड़ा : 
• अनार के फूलों के साथ धमासा और हरड़ को बराबर मात्रा में पीसकर नख में भरने से, नाखून के भीतर की सूजन और पीड़ा में लाभ होता है।
• नाखून के जख्म को ठीक करने के लिए अनार के पत्तों को पीसकर नाखून पर बांधें।
• अनार के पत्ते पीसकर बांधने से नाखून टूटने पर हुआ दर्द ठीक हो जाता है।

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