Saturday 26 March 2016

गाजर खाने के फायदे

बहुत जल्द सर्दी का मौसम दस्तक दे देगा। और इस मौसम में हमारे डाइट में कई बदलाव आ जाते है। जैसे की ऐसे वक्त हम विटामिन्स और न्यूट्रिशंस से भरपूर चीज़े खाते है, जिसमे से एक गाजर भी है। सर्दियों में मिलने वाला लाल रंग का गाजर विटामिन व पोषण से भरपूर माना जाता है।
लाल और मीठी गाजर को देखकर हमें तुंरत इसके हलवे की याद आ जाती है। औए आये भी क्यों ना इससे बनने वाला हलवा लगता ही लाजवाब है। गाजर न सिर्फ स्वाद में अच्छी होती है बल्कि इसमें मिनरल्स बहुत मात्रा में मिलते हैं। एक गाजर पुरे दिन की विटामिन ए की कमी को पूरा करता है।
गाजर को आंखों के लिए बहुत अधिक लाभकारी माना जाता है क्योंकि यह विटामिन ‘ए’ का सबसे अच्छा स्त्रोत है। लेकिन गाजर सिर्फ आंखों के लिए ही लाभदायक नहीं है बल्कि इसके अलावा गाजर का नियमित इस्तेमाल आपके बालों और त्वचा के लिए भी बहुत लाभकारी है। गाजर को जल्द ही अपनी डाइट का हिस्सा बना लीजिये क्योकि इस गाजर के सेवन के अनेक फायदे हैं। आइए हम आपको बताते है



गाजर खाने से मिलते है कई स्वास्थ्य लाभ
त्वचा निखारे
गाजर के नियमित सेवन से त्वचा चमकदार हो जाती है। इसमें पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को सूरज की किरणों से होने वाले डैमेज से बचाता है। अगर शरीर में विटामिन ए की कमी होती है तो उससे त्वचा और बाल-नाखून तीनों ही ड्राय हो जाते हैं। इसलिए विटामिन ए की पूर्ति के लिए अपनी डाइट में गाजर को जरूर शामिल करे।
आँखों की रौशनी बढ़ाये
गाजर को खास गुणों से भरपूर बनाने का काम इसमें मौजूद बीटा-केरोटिन, विटामिंस और पोटेशियम करते हैं। बीटा-केरोटिन से गाजर विटामिन A का सबसे प्रभावकारी स्त्रोत बनती है। गाजर से शरीर के इम्यून सिस्टम को ताकत मिलती है। इसके अलावा इसके सेवन से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ती है इसमें बीटा केरोटीन पाया जाता है जो कि लीवर में जा कर विटामिन ए में बदल जाता है। विटामिन ए रेटीना के अंदर ट्रासंफॉम होता है और फिर यह बैगनी से दिखने वाले पिग्मेंट में इतनी शक्ति होती है कि रतौन्धी जैसा रोक दूर-दूर तक नहीं हो पाता।
मधुमेह से बचाव
गाजर के ज्यूस में होने वाला पोटेशियम शरीर में कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करता है। गाजर में लीवर को ठीक रखने का भी चमत्कारी गुण होता है। पोटेशियम, मैगनीज और मैगनेशियम के साथ मिलकर ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य रखता है और इस तरह से शरीर में डायबीटिज के खतरे को कम करता है।
कैंसर से बचाव
गाजर में कैंसर जैसी बीमारियो से भी लड़ने का गुण होता है। इसमें केरोटेनोइड नाम का एक खास तत्व होता है जिसे प्रोस्टेट, कोलोन, और स्तन कैंसर से लड़ने में बहुत ही कारगर समझा जाता है। गाजर खाने वाले लोगो में आंत का कैंसर होने की सम्भावना 24 प्रतिशत तक कम होती है|
मासिक धर्म नियमित करे
मासिक कम आने पर या समय होने पर भी न आने पर गाजर के 5 ग्राम बीजों को 20 ग्राम गुड़ के साथ काढ़ा बनाकर लेने से लाभ होता है।
आधा सिर का दर्द
गाजर के पत्तों पर दोनों तरफ से घी लगाकर उन्हें गर्म करें। फिर उनका रस निकालकर 2-3 बूँदें कान एवं नाक में डालें। इससे आधा सिर के दर्द में लाभ मिलता है।
वजन कम करने में मददगार
गाजर का सेवन लीवर को साफ करता है। शरीर में पैदा होने वाले विभिन्न तरह के जहर गाजर के सेवन से बाहर निकल जाते हैं। गाजर का ज्यूस लीवर को ताकत देकर उसकी काम करने की क्षमता बढ़ाता है। गाजर का ज्यूस वजन कम करने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए बहुत कारगर है क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है। आप गाजर के ज्यूस को अपने डाइट प्लान का हिस्सा बना सकते है।
अन्य फायदे इन्हे भी जाने
गाजर के ज्यूस से मां के दूध की गुणवत्ता बढ़ जाती है।
गाजर का रस पीने से पेशाब खुलकर आता है।
जल जाने पर भी प्रभावित अंग पर बार-बार गाजर का रस लगाने से लाभ होता है।
गाजर को कद्दूकस करके नमक मिलाकर खाने से खाज-खुजली में फायदा होता है।
गाजर का ज्यूस गर्भ में पल रहे बच्चे को इन्फेक्शंस से बचाए रखता है।
अगर आप नियमित गाजर खाते हैं तो आपको दिल का रोग नहीं होगा।
आंखों में किसी भी तरह का रोग होने पर कच्ची गाजर या उसके रस का रोजाना सेवन लाभप्रद है।
ह्दय की कमजोरी अथवा घड़कनें बढ़ जाने पर गाजर को भूनकर खाने पर लाभ होता है।
गाजर में मौजूद विटामिन C घाव ठीक करने के साथ साथ मसूडों को भी स्वस्थ रखता है।
गाजर एक एंटी एजिंग की तरह कार्य करता है। जिससे इसके सेवन से शरीर पर झुर्रियां नहीं पडतीं।

Friday 25 March 2016

आम के लाभ

आम के फल को शास्त्रों में अमृत फल माना गया है इसे दो प्रकार से बोया (उगाया) जाता है पहला गुठली बोकर उगाया जाता है जिसे बीजू या देशी आम कहते हैं। दूसरा आम का पेड़ जो कलम द्वारा उगाया जाता है। इसका पेड़ 30 से 100 फुट तक ऊंचा होता है।
इसके पत्ते 10 से 30 सेमी लम्बे तथा 2.5 से 7 सेमी चौडे़ होते हैं। आम के फूल देखने में छोटे-छोटे और हरे-पीले होते हैं। वसंत ऋतु में फूल (मौर) और ग्रीष्म ऋतु में फल उगते हैं। इस पेड़ के सभी भाग दवाइयों के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
विभिन्न भाषाओं में नाम :- 
संस्कृत आम्र
हिंदी आम
बंगला आम
कर्नाटकी माविनेमार या मावपहेष्ण
तैलगी मामिडी चेट्ट या मवीं
तमिल मार्मर
मलयालम मावु
मराठी ऑंबा
गुजराती ऑंबो
अरबी अबज
अग्रेंजी मैंगों
लैटिन मैंगीफेरा इंडिका
रंग : कच्चे आम का रंग हरा व पक्के आम का रंग पीला होता है।
स्वभाव : यह तर और गर्म प्रकृति का होता है।
स्वाद : आम खट्टे और मीठे व स्वादिष्ट होते हैं।
आम की किस्में :
लंगड़ा, फजली, चौसा, दशहरी, तोतापरी, गुलाब खास, पायरी, सफेदा, नीलम, हाफुस, अलकासो आदि। आम के पेड़ ज्यादातर गर्म देशों में होते हैं।
गुण :
ग्रन्थों के अनुसार आम का फल खट्टा, स्वादिष्ट, वात, पित्त को पैदा करने वाला होता है, किन्तु पका हुआ आम मीठा, धातु को बढ़ाने वाला (वीर्यवर्धक), शक्तिवर्धक, वातनाशक, ठंडा, दिल को ताकत देने वाला, पित्त को बढ़ाने वाला और त्वचा को सुन्दर बनाने वाला होता है।
यूनानियों के अनुसार कच्चे आम का स्वाद खट्टा, पित्तनाशक, भूख बढ़ाने वाला, पाचन शक्ति बढ़ाने वाला और कब्ज दूर करने वाला होता है।
वैज्ञानिकों द्वारा आम पर विश्लेषण करने पर यह पता चला है कि इसमें पानी की मा़त्रा 86 प्रतिशत, वसा 0.4 प्रतिशत, खनिज 0.4 प्रतिशत, प्रोटीन 0.6 प्रतिशत, कार्बोहाड्रेट 11.8 प्रतिशत, रेशा 1.1 प्रतिशत, ग्लूकोज आदि पाया जाता है।
दुष्प्रभाव :
अधिक मात्रा में कच्चे आम का सेवन करने पर वीर्य में पतलापन, मसूढ़ों में कष्ट, तेज बुखार, आंखों का रोग, गले में जलन, पेट में गैस और नाक से खून आना इत्यादि विकार उत्पन्न हो जाते हैं। खाली पेट आम खाना शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। भूखे पेट आम नहीं खाना चाहिए। आम के अधिक सेवन से अपच की शिकायत होती है। रक्त विकार, कब्ज बनती है। अधिक अमचूर खाने से धातु दुर्बल होकर नपुंसकता आ जाती है।
विशेष :
• आम के कच्चे फलों को अधिक खाने से मंदाग्नि, विषमज्वर (टायफाइड), रक्तविकार, कब्ज एवं नेत्ररोग उत्पन्न होते हैं।
• आम के खाने के बाद पाचन सम्बन्धी शिकायत होने पर, दो-तीन जामुन खा लें। जामुन में आम को पचाने की तीव्र शक्ति होती है। जामुन उपलब्ध न होने पर, चुटकी भर नमक और सौंठ पीसकर खा लें।
• यकृत और जलोदर के रोगी को आम नहीं खाना चाहिए।
• आम खाने के बाद, दूध, जामुन, कटहल की गुठली, सूक्ष्म मात्रा में सौंठ, नमक या सिकंज के बीज सेवन करना चाहिए।
• आम के सेवन के बाद दूध पीना चाहिए तथा पानी नहीं पीना चाहिए।
विभिन्न रोगों में आम का उपयोग
1. कमजोरी : 
• दूध में आम का रस मिलाकर पीने से शरीर की कमजोरी दूर होती है और वीर्य बनता है।
• अच्छे पके हुए मीठे देशी आमों का ताजा रस 250 से 350 मिलीलीटर तक, गाय का ताजा दूध 50 मिलीलीटर अदरक का रस 1 चम्मच तीनों को कांसे की थाली में अच्छी तरह फेट लें, लस्सी जैसा हो जाने पर धीरे-धीरे पी लें। 2-3 सप्ताह सेवन करने से मस्तिष्क की दुर्बलता, सिर पीड़ा, सिर का भारी होना, आंखों के आगे अंधेरा हो जाना आदि दूर होता है। यह गुर्दे के लिए भी लाभदायक है।
2. सूखी खांसी : पके आम को गर्म राख में भूनकर खाने से सूखी खांसी खत्म हो जाती है।
3. नींद न आना : दूध के साथ पका आम खाने से अच्छी नींद आती है।
4. भूख न लगना : आम के रस में सेंधानमक तथा चीनी मिलाकर पीने से भूख बढ़ती है।
5. खून की कमी :
• एक गिलास दूध तथा एक कप आम के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर नियमित रूप से सुबह-शाम पीने से लाभ प्राप्त होगा।
• 300 मिलीलीटर आम का जूस प्रतिदिन पीने से खून की कमी दूर होती है।
6. दांत व मसूढ़े के लिए : 
• आम की गुठली की गिरी (गुठली के अंदर का बीज) पीसकर मंजन करने से दांत के रोग तथा मसूढ़ों के रोग दूर हो जाते हैं।
• आम के फल की छाल व पत्तों को समभाग पीसकर मुंह में रखने से या कुल्ला करने से दांत व मसूढ़े मजबूत होते हैं।
7. मिट्टी खाने की आदत :
• बच्चों को पानी के साथ आम की गुठली की गिरी का चूर्ण मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाने से ये आदत छूट जाती है और पेट के कीड़े भी मर जाते हैं।
• बच्चे को मिट्टी खाने की आदत हो तो आम की गुठली का चूर्ण ताजे पानी से देना लाभदायक है। गुठली को सेंककर सुपारी की तरह खाने से भी मिट्टी खाने की आदत छूट जाती है।
8. नाक से खून आना : रोगी के नाक में आम की गुठली की गिरी का रस एक बूंद टपकाएं।
9. मकड़ी का जहर : 
• मकड़ी के जहर पर कच्चे आम के अमचूर को पानी में मिलाकर लगाने से जहर का असर दूर हो जाता है।
• गुठली को पीसकर लगाने से अथवा अमचूर को पानी में पीसकर लगाने से छाले मिट जाते हैं।
10. रक्तस्राव : आम की गुठली की गिरी का एक चम्मच चूर्ण बवासीर तथा रक्तस्राव होने पर दिन में 3 बार प्रयोग करें।
11. आग से जलने पर :
आम के पत्तों को जलाकर इसकी राख को जले हुए अंग पर लगायें। इससे जला हुआ अंग ठीक हो जाता है।
गुठली की गिरी को थोड़े पानी के साथ पीसकर आग से जले हुए स्थान पर लगाने से तुरन्त शांति प्राप्त होती है।
12. धातु को पुष्ट करने के लिए : आम के बौर (आम के फूल) को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें और इसमें मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच दूध के साथ नियमित रूप से लें। इससे धातु की पुष्टि (गाढ़ा) होती है।
13. हाथ-पैरों की जलन :
हाथ-पैरों पर आम के फूल को रगड़ने पर लाभ पहुंचेगा।
आम की बौर (फल लगने से पहले निकलने वाले फूल) को रगड़ने से हाथों और पैरों की जलन समाप्त हो जाती है।
14. प्लीहा वृद्धि (तिल्ली के बढ़ने पर) : 15 ग्राम शहद में लगभग 70 मिलीलीटर आम का रस रोजाना 3 हफ्ते तक पीने से तिल्ली की सूजन और घाव में लाभ मिलता है। इस दवा को सेवन करने वाले दिन में खटाई न खायें।
15. पाचन शक्ति (खाना पचाने की क्रिया) :
रेशेदार आम गुणकारी व कब्जनाशक होते हैं, आम खाने के बाद दूध पीने से आंतों को बल मिलता है। 70 मिलीलीटर मीठे आम का रस 2 ग्राम सौंठ मिलाकर प्रात: काल पीने से पाचनशक्ति बढ़ती है।
जिस आम में रेशे हो वह भारी होता है। रेशेदार आम अधिक सुपाच्य, गुणकारी और कब्ज को दूर करने वाला होता है। आम चूसने के बाद दूध पीने से आंतों को बल मिलता है। आम पेट साफ करता है। इसमें पोषक और रुचिकारक दोनों गुण होते हैं। यह यकृत की निर्बलता तथा रक्ताल्पता (खून की कमी) को ठीक करता है। 70 मिलीलीटर मीठे आम का रस, 2 ग्राम सोंठ में मिलाकर सुबह पीने से पाचन-शक्ति बढ़ती है।
16. मधुमेह (डायबिटीज) :
आम के कोमल पत्तों का छाया में सुखाया हुआ चूर्ण 25 ग्राम की मात्रा में सेवन करना मधुमेह में उपयोगी है।
जामुन व आम का रस एक समान मात्रा में मिलाकर नियमित रूप से पीने से मधुमेह ठीक हो जाता है।
छाया में सुखाए हुए आम के 1-1 ग्राम पत्तों को आधा किलो पानी में उबालें, चौथाई पानी शेष रहने पर छानकर सुबह-शाम पिलाने से कुछ ही दिनों में मधुमेह दूर हो जाता है
आम के पत्तों को छाया में सुखाकर कूट छान लें। इसे 5-5 ग्राम सुबह-शाम पानी से 20-25 दिन लगातार सेवन से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
आम के 8-10 नये पत्तों को चबाकर खाने से मधुमेह पर नियंत्रण होता है।
17. सूखा रोग (रिकेटस): कच्चे आम के अमचूर को भिगोकर उसमें 2 चम्मच शहद मिला लें। इसे 1 चम्मच दिन में 2 बार लेने से सूखा रोग में आराम मिलता है।
18. लू लगने पर :
लू लगने पर केरी यानी कच्चे आम की छाछ पीने से लाभ होता है। जिस किसी को गर्मी या लू लग जाय, मुंह और जबान सूखने लगे, माथे, हाथ-पैर में पसीना छूटने लगे, दिल घबरा जाए और प्यास ही प्यास लगे तो ऐसी अवस्था में रोगी को केरी की छाछ निम्न विधि से बनाकर देना चाहिए। एक बड़ा-सा कच्चा आम उबालें या कोयलों की आग के नीचे दबा दें जब वह बैगन की तरह काला पड़ जाय तो उसे निकाल लें और ठंडे पानी में रखकर जले हुए छिलके उतार लें और इसे दही की तरह मथकर इसके गूदे में गुड़, जीरा, धनियां, नमक और कालीमिर्च डालकर इसे अच्छी तरह मथ लें और आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर दिन में 3 बार पीयें तो लू में लाभ होगा।
आम की कच्ची कैरी को गर्म राख में भूनकर, जल में उसके गूदे को मिलाकर थोड़ी-सी शक्कर डालकर पिलाने से लू का प्रकोप खत्म हो जाता है। लू लगने के कारण होने वाली जलन और बेचैनी से भी बचा जा सकता है।
कच्चे आम (कैरी) का शर्बत (पन्ना) बनाकर पीने से लू तथा बेचैनी में कमी आती है।
19. विषैले दन्त द्वारा काटे जाने पर :
पागल कुत्ते के, बंदर के, बिच्छू, मकड़ी का विष, ततैया के काटे जाने पर आम की गुठली पानी के साथ घिसकर लगाने से दर्द व घाव में आराम मिलता है।
अमचूर और लहसुन समान मात्रा में पीसकर बिच्छू दंश के स्थान पर लगाने से बिच्छू का जहर उतर जाता है।
20. गुर्दे की दुर्बलता : प्रतिदिन आम खाने से गुर्दे की दुर्बलता दूर हो जाती है।
21. अजीर्ण :
लगभग 10-15 ग्राम आम की चटनी को अजीर्ण रोग में रोगी को दिन में दो बार खाने को दें।
3-6 ग्राम आम की गुठली का चूर्ण अजीर्ण में दिन में 2 बार दें।
22. अर्श (खूनी बवासीर) :
आम की अन्त:छाल का रस दिन में 20-40 मिलीलीटर तक दो बार पिलायें। इससे बवासीर, रक्तप्रदर या खूनी दस्त के कारण होने वाले रक्तस्राव (खून का बहाव) में लाभ होता है।
15 से 30 मिलीलीटर आम के पत्तों का रस शहद के साथ दिन में 3 बार लें एवं ऊपर से दूध का सेवन करें।
आम की गुठली की गिरी का चूर्ण 1 से 2 ग्राम दिन में 2 बार सेवन करें।
23. तृष्णा (बार-बार प्यास लगना) :
लगभग 7 से 15 मिलीलीटर आम के ताजे पत्तों का रस या 15 से 30 मिलीलीटर सूखे पत्तों का काढ़ा चीनी के साथ दिन में 3 बार पीयें।
गुठली की गिरी के 50-60 मिलीलीटर काढ़े में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से भयंकर प्यास शांत होती है।
24. शरीर में जलन:
भुने हुए या उबाले हुए कच्चे आम के गूदे का लेप बनाकर लेप करें।
आम के फल को पानी में उबालकर या भूनकर इसका लेप बना लें और शरीर पर लेप करें इससे जलन में ठंडक मिलती है।
25. बच्चों के दस्त :
7 से 30 ग्राम आम के बीज की मज्जा तथा बेल के कच्चे फलों की मज्जा का काढ़ा दिन में 3 बार प्रयोग करें।
आम के गुठली की गिरी भून लें। 1-2 ग्राम की मात्रा में चूर्ण कर 1 चम्मच शहद के साथ दिन में 2 बार चटावें। यदि रक्तातिसार (खूनी दस्त) हो तो आम की अन्तरछाल को दही में पीस कर पेट पर लेप करें।
26. यकृत-प्लीहा का बढ़ना : 10 मिलीलीटर फलों का रस शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से रोग ठीक होता है।
27. सुन्दर, सिल्की और लंबे बाल : आम की गुठलियों के तेल को लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं तथा काले बाल जल्दी सफेद नहीं होते हैं। इससे बाल झड़ना व रूसी में भी लाभ होता है।
28. स्वरभंग : आम के 50 ग्राम पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर चौथाई भाग शेष काढ़े में मधु मिलाकर धीरे-धीरे पीने से स्वरभंग में लाभ होता है।
29. खांसी और स्वरभंग : पके हुए बढ़िया आम को आग में भून लें। ठंडा होने पर धीरे-धीरे चूसने से सूखी खांसी मिटती है।
30. लीवर की कमजोरी : लीवर की कमजोरी में (जब पतले दस्त आते हो, भूख न लगती हो) 6 ग्राम आम के छाया में सूखे पत्तों को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें। 125 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर छानकर थोड़ा दूध मिलाकर सुबह पीने से लाभ होता है।
31. अतिसार :
आम की गुठली की गिरी को लगभग 6 ग्राम की मात्रा में 100 मिलीलीटर पानी में उबालें। इसके बाद इसमें लगभग 6 ग्राम गिरी और मिलाकर पीस लें। इसे दिन में 3 बार दही के साथ सेवन करें तथा खाने में चावल और दही लें।
गुठली की गिरी 10 ग्राम, बेलगिरी 10 ग्राम तथा मिश्री 10 ग्राम तीनों का चूर्णकर 3-6 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से अतिसार में लाभ होता है। गुठली की गिरी व आम का गोंद समभाग लेकर 1 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से अतिसार मिटता है।
आम की गुठली की 10 से 20 ग्राम गिरी को कांजी के साथ पीसकर पेट पर गाढ़ा लेप करने से बहुत लाभ होता है।
आम के पेड़ की अन्तरछाल 40 ग्राम जौ कूटकर आधा किलो पानी में अष्टमांश काढ़ा सिद्ध करें। ठंडा होने पर इसमें थोड़ा शहद मिलाकर पिलाने से अतिसार (दस्त) विशेषकर आमातिसार में लाभ होता है।
आम की ताजी छाल को दही के पानी के साथ पीसकर पेट के आसपास लेप करने से लाभ होता है।
मिसरी, बेल की गिरी तथा आम की गुठली की गिरी एक समान मात्रा में पीसकर 1-1 चम्मच दिन में 3 बार ग्रहण करें।
15 से 30 मिलीलीटर आम के तने की छाल का काढ़ा दिन में तीन बार दें।
5 ग्राम आम के तने की छाल या जड़ की छाल का चूर्ण शहद एवं बकरी के दूध के साथ दिन में तीन बार दें।
15 से 30 मिलीलीटर आम, जामुन एवं आंवलों के पत्तों से निकाला रस बकरी के दूध के साथ तीन बार दें।
32. गर्भिणी के आमातिसार : पुराने आम की गुठली की गिरी का चूर्ण 5-5 ग्राम को शहद या पानी के साथ भोजन के 2 घंटे पहले दिन में 3 बार सेवन कराने से लाभ होता है। भोजन में नमकीन चावल बिना घी डाले ले सकते हैं।
33. हैजा :
हैजे की शुरुआती अवस्था में 20 ग्राम आम के पत्तों को कुचलकर आधा किलो पानी में उबालें जब यह एक-चौथाई की मात्रा में शेष बचे तो इसे छानकर गर्म-गर्म पिलाने से लाभ होता है।
आम का शर्बत या आम का पना बार-बार पिलाना भी लाभकारी होता है।
250 ग्राम आम के पत्तों को कुचलकर 500 मिलीलीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो उसे छानकर रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर बाद, कई बार पिलाएं।
25 ग्राम आम के मुलायम पत्ते पीसकर एक गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न हो जाये और छानकर गर्म-गर्म दिन में दो बार पिलाने से अथवा कच्चे आम 20 ग्राम कूट कर दही के साथ सेवन करने से हैजा खत्म हो जाता है।
34. बालों का झड़ना : नरम टहनी के पत्तों को पीसकर लगाने से बाल बड़े व काले होते हैं। पत्तों के साथ कच्चे आम के छिलकों को पीसकर तेल मिलाकर धूप में रख दें। इस तेल के लगाने से बालों का झड़ना रुक जाता है व बाल काले हो जाते हैं।
35. उल्टी-दस्त : आम के ताजे कोमल 10 पत्ते और 2-3 कालीमिर्च दोनों को पानी में पीसकर गोलियां बना लें। किसी भी दवा से बंद न होने वाले, उल्टी-दस्त इससे बंद हो जाते हैं।
36. संग्रहणी :
ताजे मीठे आमों के 50 मिलीलीटर ताजे रस में 20-25 ग्राम मीठा दही तथा 1 चम्मच शुंठी चूर्ण बुरककर दिन में 2-3 बार देने से कुछ ही दिन में पुरानी संग्रहणी (पेचिश) दूर होती है।
कच्चे आम की गुठली (जिसमें जाली न पड़ी हो) का चूर्ण 60 ग्राम, जीरा, कालीमिर्च व सोंठ का चूर्ण 20-20 ग्राम, आम के पेड़ के गोंद का चूर्ण 5 ग्राम तथा अफीम का चूर्ण एक ग्राम इनको खरलकर, वस्त्र में छानकर बोतल में डॉट बंद कर सुरक्षित करें। 3-6 ग्राम तक आवश्यकतानुसार दिन में 3-4 बार सेवन करने से संग्रहणी, आम अतिसार, रक्तस्राव (खून का बहना) आदि का नाश होता है।
37. भूख बढ़ना : आम के फूलों (बौर) का काढ़ा या चूर्ण सेवन करने से अथवा इनके चूर्ण में चौथाई भाग मिश्री मिलाकर सेवन करने से अतिसार, प्रमेह, भूख बढ़ाने में लाभदायक है।
38. प्रमेह (वीर्य विकार) : आम के फूलों के 10-20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम खांड मिलाकर सेवन करने से प्रमेह में बहुत लाभ होता है।
39. स्त्री के प्रदर में : कलमी आम के फूलों को घी में भूनकर सेवन करने से प्रदर में बहुत लाभ होता है। इसकी मात्रा 1-4 ग्राम उपयुक्त होती है।
40. एड़ी का फटना : आम के ताजे कोमल पत्ते तोड़ने से एक प्रकार का द्रव पदार्थ निकलता है इस द्रव पदार्थ को एंड़ी के फटे हिस्से में भर देने से तुरन्त लाभ होता है।
41. आम की चाय : आम के 10 पत्ते, जो पेड़ पर ही पककर पीले रंग के हो गये हो, लेकर 1 लीटर पानी में 1-2 ग्राम इलायची डालकर उबालें, जब पानी आधा शेष रह जाये तो उतारकर शक्कर और दूध मिलाकर चाय की तरह पिया करें। यह चाय शरीर के समस्त अवयवों को शक्ति प्रदान करती है।
42. धातु को बढ़ाने वाला : आम के फूलों के चूर्ण (5-10 ग्राम) को दूध के साथ लेने से स्तम्भन और कामशक्ति की वृद्धि होती है।
43. भैंसों का चारा : आम की गुठली की गिरी का अनाज और चारे की जगह अच्छा प्रयोग हो सकता है। इसमें प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट काफी मात्रा में पाये जाते हैं।
44. सूतिकृमि (पेट के कीड़े) : कच्चे आम की गुठली का चूर्ण 250 से 500 मिलीग्राम तक दही या पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से सूत जैसे कृमि नष्ट हो जाते हैं।
45. शक्तिवर्द्धक :
रोज सुबह मीठे आम चूसकर, ऊपर से सौंठ व छुहारे डालकर पकाये हुए दूध को पीने से पुरुषार्थ वृद्धि और शरीर पुष्ट होती है।
आम का रस 250 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से और इसके ऊपर से दूध पीने से शरीर में ताकत आती है।
46. दाद, खुजली, घाव आदि चर्म रोग में :
आम के कच्चे फलों को तोड़कर (जिनमें जाली न पड़ी हो), कुचलकर कपड़े में छानकर रस निकाल लें। रस का चौथाई भाग देशी शराब मिलाकर शीशी में भर कर रखें। 2 दिन बाद प्रयोग करें। इसके लगाने से पुरानी दाद, चम्बल आदि बीमारियां शीघ्र मिटती हैं। गहरे से गहरे नासूर भी इसे दिन में 2 बार लगाने से दूर होते हैं। इसे रूई की फुहेरी से लगाने से फूटी हुई कंठमाला, भगंदर, पुराने फोड़े आदि जड़ से दूर हो जाते हैं। इसे लगाने से बवासीर के मस्से भी सूख जाते हैं।
आम को तोड़ते समय, आमफल की पीठ में जो गोंदयुक्त रस (चोपी) निकलती है, उसे दाद पर खुजलाकर लगा देने से फौरन छाला पड़ जाता है और फूटकर पानी निकल जाता है। इसे 2-3 बार लगाने से रोग से छुटकारा मिल जाता है।
47. फोड़ों पर : आम के पेड़ का गोंद थोड़ा गर्म करके लगाने से फोड़ा पूरा पककर फूटकर बह जाता है और घाव आसानी से भर जाता है।
48. घमौरियां : गरमी के दिनों में शरीर पर पसीने के कारण छोटी-छोटी फुन्सियां हो जाती हैं, इन पर कच्चे आम को धीमी अग्नि में भूनकर, गूदे का लेप करने से लाभ होता है।
49. पेचिश :
दस्त में रक्त आने पर आम की गुठली पीसकर छाछ में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
आम के पत्तों को छाया में सुखाकर पीसकर कपड़े में छान लें। नित्य 3 बार आधा चम्मच की फंकी गर्म पानी से लें।
आम की गुठली को सेंककर नमक लगाकर प्रतिदिन खाने से दस्त होने पर पेट को ताकत मिलती है। 1-1 गुठली 3 बार नित्य खायें।
50. दांतों की मजबूती : आम के ताजे पत्ते खूब चबायें और थूकते जायें। थोड़े दिन के निरंतर प्रयोग से हिलते दांत मजबूत हो जायेंगे तथा मसूढ़ों से रक्त गिरना बंद हो जायेगा।
51. यक्ष्मा (टी.बी.) : एक कप आम के रस में 60 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम नित्य पीयें। नित्य 3 बार गाय का दूध पीयें। इस प्रकार 21 दिन करने से यक्ष्मा में लाभ होता है।
52. मस्तिष्क की कमजोरी : एक कप आम का रस, चौथाई कप दूध, एक चम्मच अदरक का रस, स्वाद के अनुसार चीनी सब मिलाकर एक बार नित्य पीयें। इससे मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है। मस्तिष्क की कमजोरी के कारण पुराना सिर दर्द, आंखों के आगे अंधेरा आना दूर होता है। शरीर स्वस्थ रहता है। यह रक्तशोधक भी है तथा यह हृदय, यकृत को भी शक्ति देता है।
53. शरीर में खून की कमी दूर करना : आम खाने से रक्त बहुत पैदा होता है। दुबले, पतले लोगों का वजन बढ़ता है। मूत्र खुलकर आता है। शरीर में स्फूर्ति आती है। आम का मुरब्बा भी ले सकते हैं।
54. सौंदर्यवर्धक : लगातार आम का सेवन करने से त्वचा का रंग साफ होता है तथा रूप में निखार आकर चेहरे की चमक बढ़ती है।
55. पायरिया : आम की गुठली की गिरी के महीन चूर्ण का मंजन करने से पायरिया एवं दांतों के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
56. पथरी :
आम के मुलायम व ताजे पत्ते छाया में सुखाकर महीन पीस लें और इस चूर्ण को एक चम्मच प्रतिदिन सुबह बासी मुंह पानी के साथ लें। इसके परिणामस्वरूप पथरी पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है।
आम के पत्तों को सुखाकर महीन (बारीक) चूर्ण बनाकर रखें। प्रतिदिन सुबह-शाम 2 चम्मच चूर्ण पानी के साथ खायें। इसको खाने से कुछ दिनों में ही पथरी गलकर पेशाब के द्वारा निकल जाती है।
57. बिच्छू काटना : अमचूर और लहसुन समान मात्रा में पीसकर काटे स्थान पर लगाने से बिच्छू का जहर मिट जाता है।
58. अनिद्रा : सोते समय रात को आम खाएं व दूध पीयें। इस प्रयोग से नींद अच्छी आएगी।
59. जलोदर : आम खाने से जलोदर रोग में लाभ होता है। नित्य 2-3 आम खायें।
60. अंडकोष की सूजन :
आम के पेड़ की गांठ को गाय के दूध में पीसकर लेप करने से अंडकोष की सूजन कम हो जाती है।
25 ग्राम की मात्रा में आम के कोमल पत्तों को पीसकर उसमें 10 ग्राम सेंधा नमक को मिलाकर हल्का-सा गर्म करके अंडकोष पर लेप करने से अंडकोष की सूजन मिट जाती है।
61. अंडकोष के एक सिरे का बढ़ना :
आम के पेड़ पर के बांझी (बान्दा) को गाय के मूत्र में पीसकर अंडकोष के बढ़े हिस्से पर लेप करने और सेंकने से लाभ होता है।
आम के पत्तों को नमक के साथ पीसकर लेप करें। इससे अंडकोष का बढ़ना, पानी भरना बंद हो जाता है।
62. श्वास या दमे का रोग :
आम की गुठली को फोड़कर उसकी गिरी निकाल लेते हैं। उसे सुखाकर पीस लेते हैं। इस चूर्ण की 5 ग्राम मात्रा शहद के साथ चाटने से लाभ मिलता है।
आम की गुठली के चूर्ण को 2-3 ग्राम मात्रा में शहद के साथ चाटने से दमा, खांसी में लाभ मिलता है तथा पेचिश भी ठीक हो जाती है।
63. बाल बढ़ाने के लिए : 10 ग्राम आम की गिरी को आंवले के रस में पीसकर बालों में लगाएं इससे बाल लम्बे और घने होते हैं।
64. बुखार होने पर : आम की चटनी बनाकर पीने से लू के कारण आने वाले बुखार में लाभ होता है।
65. रतौंधी :
अमोठ चूड़ा खाने से रतौंधी दूर होती है। आम का रस भी पीने से लाभ होता है।
रतौंधी रोग विटामिन `ए´ की कमी से होता है। आम में सभी फलों से ज्यादा विटामिन `ए´ होता है। इसलिए आम खाना रतौंधी रोग में लाभकारी है। चूसने वाला आम इस रोग में ज्यादा उपयोगी है।
66. अजंनहारी, गुहेरी : आम के पत्तों को डाली से तोड़ने पर जो रस निकलता है उस रस को गुहेरी पर लेप करने से गुहेरी जल्दी समाप्त हो जाती है।
67. मसूढ़ों के रोग : आम की गुठली की गिरी को बारीक पीसकर मंजन बना लें। इससे रोजाना मंजन करने से दांत व मसूढ़ों के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
68. खांसी : आम की गुठली की गिरी को सुखाकर पीस लेते हैं इसमें से एक चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से खांसी से छुटकारा मिल जाता है।
69. आमाशय (पेट) का जख्म : आम की भुनी हुई गुठली की गिरी का चूर्ण बनाकर खाने से आंतों की कमजोरी मिट जाती है।
70. गंजेपन का रोग : एक साल पुराने आम के आचार के तेल से रोजाना मालिश करने से गंजेपन का रोग कम हो जाता है।
71. गैस्ट्रिक अल्सर : पके मीठे और रस युक्त आम को छानकर सेवन करने से गैस्ट्रिक अल्सर में लाभ होता है।
72. कब्ज (गैस) होने पर : आम को खाने के बाद दूध पीने से शौच खुलकर आती है और पेट साफ होता है।
73. सिर की रूसी : आम की गुठली और हरड़ दोनों को बराबर मात्रा में लें और इसे दूध के साथ पीसकर सिर में लगायें। इससे रूसी मिट जाती है।
74. गर्भधारण : आम के पेड़ का बान्दा पानी के साथ बारीक पीसकर मासिक धर्म खत्म होने के 2 दिन बाद सुबह के समय गाय के कच्चे दूध में मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसके सेवन के बाद सेक्स करने से गर्भ ठहरता है।
75. दस्त होने पर :
आम और जामुन के पत्तों को पीस लें। इससे प्राप्त रस को 5-5 ग्राम की मात्रा में थोड़ा शहद मिलाकर एक दिन में 2 से 3 बार चाटें। इससे अतिसार यानी दस्त के साथ होने वाली उल्टी, बुखार (ज्वर) और प्यास आदि समाप्त हो जाती है।
आम की गुठली के चूर्ण को लगभग 15 ग्राम की मात्रा में ताजे दही के साथ खाने से लाभ मिलता है।
आम की गुठली की गिरी 25 ग्राम, जामुन की गुठली 25 ग्राम और भुनी हुई हरड़ को 25 ग्राम की मात्रा में पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण को पानी के साथ दिन में 2 से 3 बार पीने से लाभ होता है।
आम के फूल (बौर) को पीसकर उसमें 1 चम्मच दही को मिलाकर खाने से लाभ प्राप्त होता है।
आम की गुठली को पानी में अच्छी तरह घिसकर पीने और नाभि पर लगाने से लूज मोशम (अतिसार) में आराम मिलता है।
आम की गुठली, नमक, सोंठ, बेल की गिरी और हींग को पानी में घिसकर लगभग 2 ग्राम की मात्रा में 1 दिन में 2 से 3 बार पीने से आमातिसार और हल्के दस्तों में लाभ मिलता है।

Wednesday 23 March 2016

देशी गाय का दूध अमृत

भारतीय नस्ल की गाय से प्राप्त घी, दूध, छाछ, मट्ठा, मक्खन वरदानरूपी हैं जिनके अनेक स्वास्थ्य लाभ हैं हम यहन पर आपको गौ दुग्ध के लाभों के बारे में बता रहे हैं……
गाय का दूध पृथ्वी पर सर्वोत्तम आहार है। उसे मृत्युलोक का अमृत कहा गया है। मनुष्य की शक्ति एवं बल को बढ़ाने वाला गाय का दूध जैसा दूसरा कोई श्रेष्ठ पदार्थ इस त्रिलोकी में नहीं है। पंचामृत बनाने में इसका उपयोग होता है।
  1. गाय का दूध पीला होता है और सोने जैसे गुणों से युक्त होता है।
  2. केवल गाय के दूध में ही विटामिन ए होता है, किसी अन्य पशु के दूध में नहीं।
  3. गाय का दूध, जीर्णज्वर, मानसिक रोगों, मूर्च्छा, भ्रम, संग्रहणी, पांडुरोग, दाह, तृषा, हृदयरोग, शूल, गुल्म, रक्तपित्त, योनिरोग आदि में श्रेष्ठ है।
  4. प्रतिदिन गाय के दूध के सेवन से तमाम प्रकार के रोग एवं वृद्धावस्था नष्ट होती है। उससे शरीर में तत्काल वीर्य उत्पन्न होता है।
  5. एलोपैथी दवाओं, रासायनिक खादों, प्रदूषण आदि के कारण हवा, पानी एवं आहार के द्वारा शरीर में जो विष एकत्रित होता है उसको नष्ट करने की शक्ति गाय के दूध में है।
  6. गाय के दूध से बनी मिठाइयों की अपेक्षा अन्य पशुओं के दूध से बनी मिठाइयाँ जल्दी बिगड़ जाती हैं।
  7. गाय को शतावरी खिलाकर उस गाय के दूध पर मरीज को रखने से क्षय रोग (T.B.) मिटता है।
  8. गाय के दूध में दैवी तत्त्वों का निवास है। गाय के दूध में अधिक से अधिक तेज तत्व एवं कम से कम पृथ्वी तत्व होने के कारण व्यक्ति प्रतिभासम्पन्न होता है और उसकी ग्रहण शक्ति (Grasping Power) खिलती है। ओज-तेज बढ़ता है। इस दूध में विद्यमान ‘सेरीब्रोसाडस’ तत्व दिमाग एवं बुद्धि के विकास में सहायक है।
  9. केवल गाय के दूध में ही Stronitan तत्व है जो कि अणुविकिरणों का प्रतिरोधक है। रशियन वैज्ञानिक गाय के घी-दूध को एटम बम के अणु कणों के विष का शमन करने वाला मानते हैं और उसमें रासायनिक तत्व नहीं के बराबर होने के कारण उसके अधिक मात्रा में पीने से भी कोई ‘साइड इफेक्ट’ या नुकसान नहीं होता।
  10. कारनेल विश्वविद्यालय के पशुविज्ञान के विशेषज्ञ प्रोफेसर रोनाल्ड गोरायटे कहते हैं कि गाय के दूध से प्राप्त होने वाले MDGI प्रोटीन के कारण शरीर की कोशिकाएँ कैंसरयुक्त होने से बचती हैं।
  11. गाय के दूध से कोलेस्टरोल नहीं बढ़ता बल्कि हृदय एवं रक्त की धमनियों के संकोचन का निवारण होता है। इस दूध में दूध की अपेक्षा आधा पानी डालकर, पानी जल जाये तब तक उबालकर पीने से कच्चे दूध की अपेक्षा पचने में अधिक हल्का होता है।
  12. गाय के दूध में उसी गाय का घी मिलाकर पीने से और गाय के घी से बने हुए हलुए को, सहन हो सके उतने गर्म-गर्म कोड़े जीभ पर फटकारने से कैंसर मिटने की बात जानने में आयी है।
  13. गाय का दूध अत्यंत स्वादिष्ट, स्निग्ध, मुलायम, चिकनाई से युक्त, मधुर, शीतल, रूचिकर, बुद्धिवर्धक, बलवर्धक, स्मृतिवर्धक, जीवनदायक, रक्तवर्धक, वाजीकारक, आयुष्यकारक एवं सर्वरोग को हरनेवाला है
  14. गाय का दूध पृथ्वी पर सर्वोत्तम आहार है। उसे मृत्युलोक का अमृत कहा गया है। मनुष्य की शक्ति एवं बल को बढ़ाने वाला गाय का दूध जैसा दूसरा कोई श्रेष्ठ पदार्थ इस त्रिलोकी में नहीं है। पंचामृत बनाने में इसका उपयोग होता है।
  15. गाय का दूध पीला होता है और सोने जैसे गुणों से युक्त होता है।
  16. केवल गाय के दूध में ही विटामिन ए होता है, किसी अन्य पशु के दूध में नहीं।
  17. गाय का दूध, जीर्णज्वर, मानसिक रोगों, मूर्च्छा, भ्रम, संग्रहणी, पांडुरोग, दाह, तृषा, हृदयरोग, शूल, गुल्म, रक्तपित्त, योनिरोग आदि में श्रेष्ठ है।
  18. प्रतिदिन गाय के दूध के सेवन से तमाम प्रकार के रोग एवं वृद्धावस्था नष्ट होती है। उससे शरीर में तत्काल वीर्य उत्पन्न होता है।
  19. एलोपैथी दवाओं, रासायनिक खादों, प्रदूषण आदि के कारण हवा, पानी एवं आहार के द्वारा शरीर में जो विष एकत्रित होता है उसको नष्ट करने की शक्ति गाय के दूध में है।
  20. गाय के दूध से बनी मिठाइयों की अपेक्षा अन्य पशुओं के दूध से बनी मिठाइयाँ जल्दी बिगड़ जाती हैं।
  21. गाय को शतावरी खिलाकर उस गाय के दूध पर मरीज को रखने से क्षय रोग (T.B.) मिटता है।
  22. गाय के दूध में दैवी तत्त्वों का निवास है। गाय के दूध में अधिक से अधिक तेज तत्व एवं कम से कम पृथ्वी तत्व होने के कारण व्यक्ति प्रतिभासम्पन्न होता है और उसकी ग्रहण शक्ति (Grasping Power) खिलती है। ओज-तेज बढ़ता है। इस दूध में विद्यमान ‘सेरीब्रोसाडस’ तत्व दिमाग एवं बुद्धि के विकास में सहायक है।
  23. केवल गाय के दूध में ही Stronitan तत्व है जो कि अणुविकिरणों का प्रतिरोधक है। रशियन वैज्ञानिक गाय के घी-दूध को एटम बम के अणु कणों के विष का शमन करने वाला मानते हैं और उसमें रासायनिक तत्व नहीं के बराबर होने के कारण उसके अधिक मात्रा में पीने से भी कोई ‘साइड इफेक्ट’ या नुकसान नहीं होता।
  24. कारनेल विश्वविद्यालय के पशुविज्ञान के विशेषज्ञ प्रोफेसर रोनाल्ड गोरायटे कहते हैं कि गाय के दूध से प्राप्त होने वाले MDGI प्रोटीन के कारण शरीर की कोशिकाएँ कैंसरयुक्त होने से बचती हैं।
  25. गाय के दूध से कोलेस्टरोल नहीं बढ़ता बल्कि हृदय एवं रक्त की धमनियों के संकोचन का निवारण होता है। इस दूध में दूध की अपेक्षा आधा पानी डालकर, पानी जल जाये तब तक उबालकर पीने से कच्चे दूध की अपेक्षा पचने में अधिक हल्का होता है।
  26. गाय के दूध में उसी गाय का घी मिलाकर पीने से और गाय के घी से बने हुए हलुए को, सहन हो सके उतने गर्म-गर्म कोड़े जीभ पर फटकारने से कैंसर मिटने की बात जानने में आयी है।
  27. गाय का दूध अत्यंत स्वादिष्ट, स्निग्ध, मुलायम, चिकनाई से युक्त, मधुर, शीतल, रूचिकर, बुद्धिवर्धक, बलवर्धक, स्मृतिवर्धक, जीवनदायक, रक्तवर्धक, वाजीकारक, आयुष्यकारक एवं सर्वरोग को हरनेवाला है।

गाय के दूध में उसी गाय का घी मिलाकर पीने से और गाय के घी से बने हुए हलुए को, सहन हो सके उतने गर्म-गर्म कोड़े जीभ पर फटकारने से कैंसर मिटने की बात जानने में आयी है।

गाय का दूध अत्यंत स्वादिष्ट, स्निग्ध, मुलायम, चिकनाई से युक्त, मधुर, शीतल, रूचिकर, बुद्धिवर्धक, बलवर्धक, स्मृतिवर्धक, जीवनदायक, रक्तवर्धक, वाजीकारक, आयुष्यकारक एवं सर्वरोग को हरनेवाला है।

गंजेपन में बाल उगना शुरू हो जाते हैं

  • दही को तांबे के बर्तन से ही इतनी देर रगडे़ कि वह हरा हो जाए। इसे सिर में लगाने से गंजेपन की जगह बाल उगना शुरू हो जाते हैं।
  • मेथी के बीजों का पेस्ट बालों में लेप करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है।
  • चुकन्दर के पत्ते का रस सिर में मालिश करने से गंजेपन का रोग मिट जाता है और नये बाल आना शुरू हो जाते हैं।
  • नीम के पत्ते 10 ग्राम तथा बेर के पत्ते 10 ग्राम लेकर दोनों को अच्छी तरह पीसकर इसका उबटन (लेप) तैयार कर लें। इसके बाद इस लेप को सिर पर लगाकर 1 से 2 घण्टे बाद धोने से बाल उग आते हैं। इसका प्रयोग एक महीने तक करने से लाभ मिलता है।
  • उड़द की दाल को उबालकर पीस लें। रात को सोने के समय सिर पर लेप करें। इससे गंजापन धीरे-धीरे दूर हो जाता है और नये बाल आना शुरू हो जाते हैं।
  • सिर में लहसुन का रस लगाने से बाल उग जाते हैं। इसका प्रयोग 60 दिनों तक करने से गंजापन दूर कर सकते हैं।
  • गंज (सिर पर कहीं से बाल उड़ जाने को गंज कहते हैं) वाले भाग पर प्याज का रस रगड़ने से बाल वापस उगने लगते हैं और बाल गिरने रुक जाते हैं।
  • प्याज के रस में नमक और कालीमिर्च का पाउड़र मिलाकर मालिश करने से सिर की दाद के कारण सिर के उड़ गये बाल फिर से आने लगते हैं।
  • प्याज का रस शहद में मिलाकर गंजेपन की जगह पर लगाने से फिर से बालों का उगना शुरू जाता है।
  • पके केले के गूदे को नींबू के रस में मिलाकर लगाने से गंजेपन का रोग मिट जाता है।
  • हरे धनिया का पानी निकालकर (पत्ते का रस) सिर पर मालिश करने से गंजेपन का रोग मिट जाता है और नये बाल आना शुरू हो जाते हैं।
  • अलसी के तेल में बरगद (वटवृक्ष) के पत्तों को जलाने के बाद उसे पीसकर और छानकर रख लें। इस तेल को सुबह-शाम सिर में लगायें। इसी तरह इसे लगाते रहने से सिर पर फिर से बालों का उगना शुरू हो जाता है।
  • बालों में भाप देने से बाल रेशम की तरह चमकदार और स्वस्थ होते हैं। इससे बालों का झड़ना भी बन्द हो जाता है। भाप देने के लिए सबसे पहले एक भगोने में गर्म पानी लें और एक तौलिये में इसे भिगोकर हल्का सा निचोड़कर बालों में लपेट लें। ठंड़ा होने पर दूसरे तौलिया को इसी तरह भिगोकर लपेटें। इसी तरह 10 मिनट तक भाप दें। जिस दिन बालों में भाप देनी है उससे एक दिन पहले ही सिर में तेल लगा लें।
  • सूखे आंवले को रात में पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इसी पानी से सिर को धोयें। इससे बालों की जड़ें मजबूत हो जाती हैं |
  • कम उम्र में बाल गिरते हों और बाल सफेद हो गये हों तो इसके लिए तुलसी के पत्ते और आंवले का चूर्ण पानी के साथ मिलाकर सिर में मालिश करें। इसके 10 मिनट बाद सिर को धो लें। इससे बालों का झड़ना कम होता है तथा बाल काले और लंबे भी होते हैं।
  • मेंहदी के पत्ते और चुकन्दर के पत्ते को चटनी की तरह पीसकर सिर में लगाने से बालों का गिरना बन्द हो जाता है और नये बाल आ जाते हैं।
  • दोनों हाथों के नाखूनों को आपस में प्रतिदिन तीन बार ५-५ मिनट आपस में रगड़ें | इससे बालों का गिरना बन्द हो जाता है |

बालों को काला करना


सिर की त्वचा में जमे मैल के कारण बाल रूखे हो जाते हैं और कमजोर होकर झड़ने लगते हैं, बालों में जमी मैल ही रूसी को जन्म देती है जो बालों की सबसे बड़ी शत्रु है। सिर की सफाई और बालों की स्वच्छता पर हमेशा ध्यान रखना चाहिए। दवाओं का मनमाना उपयोग, पूरी नींद न लेना तथा चिन्ता करना भी बालों के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसी कारण बाल झड़ते, टूटते और जल्दी सफेद हो जाते हैं। बालों को स्वस्थ रखने के लिए बालों में तेल लगाना जरूरी है। आजकल फैशन के चलते लोग बालों में तेल नहीं लगाते हैं। यह बालों के लिए नुकसानदायक है। बालों को रीठा और शिकाकाई से धोने के बाद 1 नींबू का रस ठंड़े पानी के साथ मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने से बाल काले होते हैं। इससे बालों का रूखापन दूर हो जाता है और इससे प्राकृतिक चमक देखने को मिलती है।
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. आंवला :
पिसे हुए सूखे आंवले के चूर्ण को नींबू के रस के साथ पीसकर बालों में लेप करने से बाल काले हो जाते हैं।
आंवला और लौह चूर्ण को पानी के साथ पीसकर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
2. समुद्रफल : समुद्रफल को पानी के साथ पीसकर बालों में लगाने से 3 महीने में ही बाल काले हो जाते हैं।
3. इन्द्रायण : इन्द्रायण के बीजों का तेल लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
4. भृंगराज :
भृंगराज और गुड़हल के फूलों को बराबर लेकर भैंस के दूध के साथ पीस लें और इसे रोजाना रात को लगाकर सो जायें। इससे कुछ ही दिनों में ही बाल काले हो जाते हैं।
भृंगराज का पिसा हुआ बारीक चूर्ण और काले तिल को बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। इस मिश्रण को 1 चम्मच की मात्रा में रोजाना सुबह के समय मुंह धोने के बाद खूब चबाकर खायें और ऊपर से ताजा पानी पी लें। इसे लगातार 6 महीने तक प्रयोग करना चाहिए। इससे समय से पहले बालों का पकना और झड़ना कम हो जाता है तथा बाल काले, लंबे, मजबूत और चमकदार बनते हैं। इसका प्रयोग 40 साल तक के व्यक्तियों के लिए ज्यादा फायदेमन्द है।
5. सरसों : 1 लीटर सरसों का तेल, रतनजोत, मेहंदी के पत्ते, जलभांगरा के पत्ते तथा आम की गुठलियों को 100-100 ग्राम की मात्रा लेकर सभी को कूटकर लुगदी बना लें और लुगदी को निचोड़ लें। इस पानी को सरसों के तेल में इतना उबालें कि सारा पानी जल जाए, केवल तेल ही शेष बचे। इसे छानकर इसका तेल रोजाना सिर पर लगायें। इस प्रयोग में सुबह के समय शीर्षासन करना चाहिए और सुबह-शाम 250 मिलीलीटर दूध पीना चाहिए। इससे बाल काले हो जाते हैं।
6. नींबू :
नींबू के रस में पिसा हुआ सूखा आंवला मिलाकर सफेद बालों पर लेप करने से बाल काले होते हैं।
नींबू का रस सिर में मालिश करने से बालों का पकना और गिरना बन्द हो जाता है। सूखे आंवले के पिसे हुए चूर्ण को नींबू के रस के साथ सफेद बालों पर लेप करने से बाल काले होने लगते हैं। इससे बालों के अन्य रोग भी सही हो जाते हैं।
नींबू के छिलके को नारियल के तेल में डुबोकर 8-10 दिनों तक धूप में रख दें और इसके बाद इसे छानकर बालों की जड़ों में मालिश करें। इससे बाल काले और घने हाते हैं।
शैम्पू या साबुन से सिर को साफ करने के बाद 1 गिलास पानी (सर्दियों में गुनगुना पानी तथा गर्मियों में सादा पानी) में 1 नींबू का रस और सिरके की कुछ बूंदें मिलाकर सिर के बालों को अच्छी तरह से धो लें। इससे बाल रेशम की तरह चमकदार सुन्दर और मुलायम हो जाते हैं और सिर की रूसी भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं। इससे बाल भी जल्दी गंदे नहीं होते हैं।
7. घी : घी खाने और बालों की जड़ों में घी मालिश करने से बाल काले होते हैं।
8. तुरई (तोरी) : तुरई के टुकड़ों को छाया में सुखाकर कूट लें। इसमें नारियल का इतना तेल डालें कि यह पूरी तरह से डूब जाए। इसी प्रकार 4 दिनों तक इसे भिगोयें, फिर उबालें और इसे छानकर बोतल में भरकर रख लें। इस तरह इस तेल को बालों में लगाने और मालिश करने से बाल काले हो जाते हैं।
9. गाजर : रोजाना गाजर का रस पीने से बाल काले और स्वस्थ रहते हैं।
10. प्याज : प्याज का रस पीसकर बालों पर लेप करने से बाल काले रंग के उगने चालू हो जाते हैं।
11. दही :
10 पिसी हुई कालीमिर्च का चूर्ण और 1 नींबू निचोड़कर आधा कप दही में मिला लें और इसे बालों पर लगाकर 20 मिनट तक लगा रहने दें। इसके बाद सिर को धो लें। इससे बाल काले और मुलायम हो जाते हैं।
100 ग्राम दही में बारीक पिसी हुई 1 ग्राम कालीमिर्च को मिलाकर सप्ताह में एक बार सिर को धोयें और बाद में गुनगुने पानी से सिर को धो लें। इस प्रयोग को करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है तथा बाल काले और सुन्दर हो जाते हैं।
12. तिल : जिसके बाल सफेद हो गये हो और झड़ते हो तो वह रोजाना तिल खायें और उसी का तेल लगायें। इससे उसके बाल काले, लंबे और मुलायम हो जाते हैं।
13. मेथी : मेथी को खाने और इसका तेल सिर में लगाने से सफेद बाल कम होते हैं।
14. गेहूं : गेहूं के पौधे का रस पीने से बाल कुछ ही दिनों में काले हो जाते हैं।
15. कालीमिर्च : जुकाम में भी बाल सफेद हो जाते हैं। अगर बाल जुकाम के कारण सफेद हो गये हो तो 10 कालीमिर्च रोजाना सुबह-शाम निगल जायें। 
इससे कफ-विकार (बलगम रोग) खत्म हो जाते हैं और नये बाल उगना शुरू हो जाते हैं। इसका प्रयोग 1 साल से अधिक करें। तिल के तेल में कालीमिर्च को बारीक पीसकर बालों में लगाने से बाल काले हो जाते हैं।
16. तुलसी : बराबर मात्रा में तुलसी और हरा धनिया पीसकर आंवले के रस के साथ कुछ दिनों तक लगाएं। बाद में ताजे पानी से बालों को धो लें। इससे बाल काले बनते हैं।
17. रीठा : 250-250 ग्राम रीठा और सूखा आंवला पिसा हुआ, शिकाकाई की फली, मेहंदी की सूखी पत्तियां तथा नागरमोथा 25-25 ग्राम, इन सबको मिलाकर एक साथ पीस लें। शैम्पू तैयार है। इसका एक बड़ा चम्मच पानी में उबालकर इससे सिर को धोयें। इससे बाल सफेद और साफ हो जायेंगे तथा सफेद बालों में कालापन आ जाएगा।
18. नारियल : 300 मिलीलीटर नारियल के तेल में कालीमिर्च (मोटी कुटी हुई) 3 ग्राम (लगभग एक चम्मच) डालकर गर्म कर लें। थोड़ा तेज गर्म हो जाने पर साफ कपड़े से छानकर बोतल में भर लें। रात में सोने से पहले इसे बालों की जड़ों में अंगुलियों के सिरों से हल्की-हल्की मालिश करें। इससे बाल काले हो जाते हैं।
19. मुल्तानी मिट्टी : 100 ग्राम मुल्तानी मिट्टी 1 कटोरे में लेकर पानी में भिगो दें। जब यह 2 घंटे में फूलकर लुग्दी सी बन जाए तो हाथ से मसलकर गाढ़ा घोल बना लें। ध्यान रहे कि इसमें डालिया न बचने पायें। इस घोल को सूखे बालों में डालकर मुलायम हाथों से धीरे-धीरे बालों में लगायें। इसे लगाने के 5 मिनट बाद सर्दियों में गुनगुना और गर्मियों में ठंड़े पानी से धो लें। अगर बाल ज्यादा गंदे हो तो वैसे ही करें। इस तरह साबुन की जगह मुल्तानी मिट्टी से बालों को सप्ताह में 2 बार धोने से उसमें अच्छी चमक देखने को मिलती है। पहली बार ही धोने से सिर में हल्कापन और शीतलता का अनुभव होता है जैसा कि और शैम्पू में नहीं देखने को मिलता है।
20. बेसन का शैम्पू : साबुन की जगह सप्ताह में दो बार बेसन को पानी में सही तरह से घोलकर बालों में लगाएं और इसे 1 घण्टे बाद धो लें। इससे बाल घने और काले होते हैं। इस तरह बालों की गन्दगी साफ हो जाती है, बाल चमकीले और मुलायम हो जाते हैं। सिर की खाज खुजली और फुन्सियां जल्द ही ठीक हो जाती हैं।
21. काला तिल :
250 ग्राम काला तिल, 250 ग्राम गुड़ दोनों को सही तरह से कूटकर रख लें। इसे रोजाना 50 ग्राम खाने से शरीर में ताकत आती है। इससे पेशाब अधिक नहीं लगता और उम्र से पहले आये सफेद बाल काले होने लगते हैं।
काला तिल, सूखा भृंगराज, सूखा आंवला और मिश्री को बराबर लेकर बनाये गये चूर्ण को रोजाना सुबह 6 ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से 250 मिलीलीटर दूध का सेवन करें। इसे 1 साल तक लगातार खाने से रूप बदल जाता है।
नोट- इस प्रयोग के समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
22. सूखा आंवला : 500 ग्राम सूखा आंवला, 200 ग्राम शहद, 200 ग्राम मिश्री और 2 लीटर पानी लेकर रख लें। इसके बाद सबसे पहले आंवले को पीसकर रात को भिगो दें। इसे सुबह मसलकर छान लें। इस छाने पानी में शहद और मिश्री मिलाकर बोतल में भरकर रख दें। इसे सुबह-शाम 20-20 मिलीलीटर खाने के साथ सेवन करें। इसके सेवन से पेट की कब्ज और गर्मी नष्ट हो जाती है और दिमागी चेतना बढ़ती है तथा उम्र से पहले सफेद हुए बाल भी काले होने लगते हैं।
23. मेहंदी :
50 ग्राम मेहंदी, आधा चम्मच कॉफी और 25 आंवला को दूध में भिगोकर बालों में लगा लें, 1 घण्टे के बाद पानी से सिर धो लें, सप्ताह में 2 बार ऐसा करने से सफेद बाल काले-सुनहरे हो जाते हैं।
6 चम्मच मेहंदी, 4 चम्मच सूखा आंवला, 1 चम्मच कॉफी, चौथाई चम्मच कत्था-इन सबको मिलाकर 1 लोहे के बर्तन में कॉफी के उबले हुए पानी में भिगो लें। दूसरे दिन इनका बालों पर लेप करें। 20 मिनट तक लेप को लगा रहने दें। इसके बाद सिर को धो लें और सिर में आंवले का तेल लगाएं। आंवला बालों के लिए एक प्राकृतिक (कुदरती) देन है। इसे बालों में किसी भी तरीके से लगा सकते हैं और इसका रस पीयें। इससे बालों को लाभ होता है।
मेहंदी के पत्तों का चूर्ण और नील के पत्तों का चूर्ण समान मात्रा में लेप बनाकर लगाने से सफेद बाल प्राकृतिक रूप से काले हो जाते हैं।
मेहंदी, दही, नींबू और चाय की पत्तियों को मिलाकर 2 से 3 घंटे तक बालों में लगाने से बाल घने, मुलायम, काले और लंबे हो जाते हैं।
24. जटामांसी : जटामांसी के काढ़े से बालों की मालिश करके सुबह-सुबह रोज लगायें और 2 घंटे के बाद नहा लें इसे रोजाना करने से फायदा पहुंचेगा।
25. नीम : नीम के बीजों को भांगरा और विजयसार के रस के साथ कई बार उबालकर उसके बीजों का तेल निकालकर 2-2 बूंदों को नाक से लेने से तथा आहार में केवल दूध और भात को खाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
26. योगासान : शीर्षासन और सर्वांगासन सही ढंग से करते रहने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं और बालों का झड़ना कम हो जाता है। इससे बाल सफेद नहीं होते तथा बाल काले, चमकीले और सुन्दर बन जाते हैं।
विशेष : युवावस्था से ही सुबह-शाम भोजन करने के बाद वज्रासन में बैठकर 2-3 मिनट तक लकड़ी, सींग और हाथी दांत की कंघी करने से बालों का सफेद होना कम हो जाता है। इससे बालों का जल्दी पकना और गिरना, सिर की खुजली, सिर का पिलपिला होना, चक्कर और सिर की गर्मी नष्ट हो जाती है।

Friday 18 March 2016

सेंधा नमक बहुत फायदेमंद

क्या आपकी त्वचा अब पहले की तरह कोमल, मुलायम और बेदाग नहीं रह गई है? क्या आपके चेहरे की खूबसूरती को कील-मुंहासों ने छीन लिया है? अगर आप भी कील-मुंहासों और उनसे होने वाले दाग से परेशान आ चुके हैं तो सॉल्ट स्क्रब आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा.
कम ही लोगों को पता होगा कि सेंधा नमक एक बेहतरीन ब्यूटी प्रोडक्ट है. आप चाहें तो इसका इस्तेमाल स्क्रब के रूप में करके त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं को दूर कर सकते हैं. ये पूरी तरह नेचुरल है और इससे त्वचा को कोई नुकसान भी नहीं होता है. सेंधा नमक के स्क्रब के इस्‍तेमाल से डेड स्क‍िन निकल जाती है. पर सीधे तौर पर नमक का इस्तेमाल करने से बेहतर है कि आप इसे किसी चीज के साथ मिलाकर लगाएं. 
सेंधा नमक को एप्सम सॉल्ट के नाम से भी जाना जाता है. एप्सम सॉल्ट के इस्तेमाल से डेड स्क‍िन तो साफ हो ही जाती है साथ ही ब्लैकहेड्स भी दूर हो जाते हैं. एप्सम सॉल्ट को इन चीजों के साथ मिलाकर चेहरे की सफाई करना वाकई फायदेमंद साबित होगा.

1. सॉल्‍ट एंड लेमन स्‍क्रब
एप्सम सॉल्ट में कुछ बूंदें नींबू की मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लें. इसे चेहरे पर गोलाई में घुमाकर लगाएं. सप्ताह में दो बार इस स्क्रब का इस्तेमाल करने से मुंहासे, डेड स्क‍िन, ब्‍लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स आसानी से साफ हो जाते हैं.


2. सॉल्‍ट एंड आलमंड ऑयल 
अगर आपकी स्क‍िन ड्राई है तो सॉल्ट एंड ऑयल का ये मिश्रण आपके लिए काफी फायदेमंद रहेगा. आप चाहें तो एप्सम सॉल्ट में बादाम के तेल की या फिर जैतून के तेल की कुछ बूंदे मिला सकते हैं. इससे चेहरा तो साफ हो ही जाएगा, साथ ही चेहरे की नमी भी बरकरार रहेगी.


3. सॉल्ट एंड शहद 
गर्मियों के लिहाज से ये बेहतरीन स्क्रब है. शहद टैनिंग दूर करने का काम करता है और साथ ही त्वचा के नेचुरल मॉइश्चर को लॉक भी करता है. इस स्क्रब को सप्ताह में दो बार लगाकर आप खूबसूरत, बेदाग त्वचा
 पा सकते हैं.


4. सॉल्ट एंड ओटमील
सॉल्ट और ओटमील का स्क्रब ऑयली स्क‍िन वालों के लिए बेहतरीन है. ओटमील और एप्सम सॉल्ट को अच्छी तरह मिला लें और इसमें नींबू का रस, बादाम का तेल मिक्स कर लें. इस मिश्रण को गोलाई में चेहरे पर हल्के हाथों से लगाएं. उसके बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें.


समय-समय पर स्क्रब करते रहना अच्छा है लेकिन स्क्रब करने का सही तरीका पता होना भी बहुत जरूरी है. पहली बात तो हर रोज स्क्रब करना खतरनाक हो सकता है. इससे चेहरे का नेचुरल ग्लो फीका पड़ जाता है. हल्के हाथों से चेहरे पर गोलाई में स्क्रब लगाएं और उसे रब करें. स्क्रब बहुत ड्राई नहीं होना चाहिए. समय-समय पर पानी की या गुलाब जब की कुछ बूंदें चेहरे पर लगाकर मसाज करना ज्यादा बेहतर रहेगा. 



इंसान के शरीर के लिए नमक बेहद जरूरी है। आजकल के आयोडीनयुक्त नमक से ज्यादा अच्छा है सेंधा नमक। यह शरीर में अच्छे से पच जाता है। सेंधा नमक में 65 प्रकार के प्राकृतिक खनिज तत्व पाए जाते हैं। इसलिए यह कई जानलेवा बीमारियों से बचाता है। सेंधा नमक सेहत के लिए बेहद जरूरी हैं। सेंधा नमक प्राकृतिक वरदान है इसलिए आप अपने भोजन में सेंधा नमक का सेवन करना न भूलें। भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है जो की शरीर के लिए हानिकारक और जहर के समान है। उत्तम प्रकार का नमक सेंधा नमक है। बहुत अधिक मात्रा में सेंधा नमक भी खाना हानिकारक हो सकता है।
अधिक नमक खाना सेहत पर गलत असर डाल सकता है। इसलिए सभी डाक्टर नमक के अधिक सेवन करने से मना करते हैं। लेकिन एक एसा नमक भी है जो आपको कई गंभीर बीमारियों से बचा सकता है। आयुर्वेद में सेंधा नमक को सबसे उत्तम माना गया है। समुद्री नमक कोई बहुत ज्‍यादा स्‍वास्‍थ्‍य के लिये लाभकारी नहीं होता लेकिन इसका इतना ज्‍यादा प्रचार कर दिया गया है कि हमें लगता है कि यह सेंधा नमक के मुकाबले बहुत अच्‍छा होता है। अगर आपको लगता है कि समुंद्री नमक में आयोडीन होता है और इसलिये यह शरीर के लिये बहुत अच्‍छा होता है तो, आप गलत हैं। काला नमक स्‍वास्‍थ्‍य का खजाना आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है, बल्‍कि आयोडीन तो आपको दही, दूध, अंडा, आलू और हरी सब्‍जियों से ही प्राप्‍त हो सकता है।
सेंधा नमक लाखों साल पुराना समुद्री नमक है जो पृथ्वी की गहराइयों में दबकर बनता है। सेंधा नमक फायदेमंद और भोजन का स्वाद बढ़ाने वाला होता है। बहुत ही कम लोगों को इस बारे में पता है कि सेंधा नमक इंसान को कई रोगों से बचा सकता है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और समाज सेवी राजीव भाई दीक्षित का कहना है की समुद्री नमक तो अपने आप मे बहुत खतरनाक है लेकिन उसमे आयोडिन नमक मिलाकर उसे और जहरीला बना दिया जाता है, आयोडिन की शरीर मे अधिक मात्र जाने से नपुंसकता जैसा गंभीर रोग हो जाना मामूली बात है। प्राकृतिक नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। इसके बावजूद हम सब घटिया किस्म का आयोडिन मिला हुआ समुद्री नमक खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे, पर यह एक हकीकत है।
आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है। आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप, डाइबिटीज़, लकवा आदि गंभीर बीमारियो का भय रहता है। इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है। इसकी शुद्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है।
ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था।
भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है, उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है। सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है। सफ़ेद रंग वाला नमक उत्तम होता है।
हम अक्‍सर भोजन में ज्‍यादातर आयोडीन युक्‍त नमक का ही प्रयोग करते हैं। अगर हमें उपवास रखना है तब हम सेंधा नमक का प्रयोग कर लेते हैं। सेंधा नमक एक पहाड़ी नमक है, जो कि स्‍वास्‍थ्‍य के लिये सबसे उत्‍तम है। आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है। प्राकृतिक नमक हमारे शरीर के लिये बहुत फायदेमंद होता है। आम तौर से उपयोग मे लाये जानेवाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप, डाइबिटीज़, लकवा आदि गंभीर बीमारियो का भय रहता है। इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है। इसकी शुद्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है। इसके सेवन से शरीर में ब्लड प्रेशर, चर्म रोग, फेफड़ा, नेत्र रोग, मोटापा, शरीर में जकड़न सहित बीस घातक बीमारियां होती हैं। सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए; क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है। यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है। सेंधा नमक को रोजाना अपने भोजन में प्रयोग करें। उच्च रक्तचाप है तो समुद्री नमक की जगह पर सेंधा नमक खाएं। रक्त विकार आदि के रोग जिसमें नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
यह हृदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीरवाला, पचने मे हल्का है। इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है। यह पित्त नाशक और आंखों के लिये हितकारी है। दस्त, कृमिजन्य रोगो और रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है।

सेंधा नमक के लाभ

 

1. सेंधा नमक हड्डियों को मजबूत रखता है।
2. मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या सेंधा नमक के सेवन से ही ठीक हो सकती है।
3. नियमित सेंधा नमक का सेवन करने से प्राकृतिक नींद आती है। यह अनिंद्रा की तकलीफ को दूर करता है।
4. यह साइनस के दर्द को कम करता है।
5. शरीर में शर्करा को शरीर के अनुसार ही संतुलित रखता है।
6. पाचन तंत्र को ठीक रखता है।
7. यह शरीर में जल के स्तर की जांच करता है जिसकी वजह से शरीर की क्रियाओं को मदद मिलती है।
8. पित्त की पत्थरी व मूत्रपिंड को रोकने में सेंधा नमक और दूसरे नमकों से बेहद उपयोगी है।
9. पानी के साथ सेंधा नमक लेने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
10. सेंधा नमक का सेवन दमा के रोगीयों के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
11. यह नमक वजन को नियंत्रित करता है क्योंकि यह शरीर में पाचक रसों का निर्माण करता है। जिससे खाना जल्दी पच जाता है और कब्ज भी दूर हो जाती है।
12. सेंधा नमक को पानी के साथ लेने से कोलेस्ट्रोल कम होता है और हाई ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है, इसलिए यह दिल के दौरे को रोकने में मदद करता है
13. अनियमित दिल की धड़कनों को नियंत्रित करता है।
14. डायबिटीज के मरीजों को सेंधा नमक अपने भोजन में जरूर शामिल करना चाहिए।
15. मानसिक तनाव को कम करने के लिए सेंधा नमक का सेवन बेहद जरूरी है; क्योंकि यह तनाव का सामना करनेवाले हार्मोन्स सेरोटोनिन और मेलाटोनिन को शरीर में बनाए रखता है।
16. इसके नियमित सेवन से तनाव रहित नींद भी आती है।
17. सेंधा नमक खून के विकार को भी दूर करता है। इसकी तासीर ठंडी होती है।
18. सेंधा नमक का नियमित सेवन करने से फेफड़ों के रोग, चर्म रोग और शरीर की जकड़न आदि नहीं होते हैं।
19. पायरिया की समस्या से दांतों में काले धब्बे बन जाते है। ऐसे में सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर दांतों पर मलें। इस उपाय को कुछ दिनों तक लगातार करते रहें।
20. नाखूनों के पीलेपन को हटाता है सेंधा नमक।
21. सेंधा नमक कफ और वात दोष को भी खत्म करता है।
22. रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) पर नियन्त्रण रहता है।
23. यह पित्त नाशक और आंखों के लिये हितकारी है।
24. दस्त, कृमिजन्य रोगो और रह्युमेटिज्म में काफ़ी उपयोगी होता है।
25. वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
26. यह पाचन में सहायक होता है।
27. आंखों के लिये हितकारी है।
28. सेंधा नमक में पोटैशियम,  कैल्शियम, आयोडीन, लिथियम, फास्फोरस, क्रोमियम, मैंगनीज, लोहा, जस्ता, स्ट्रोंटियम और मैग्नीशियम सहित 65 प्रकार के प्राकृतिक खनिज तत्व पाए जाते हैं।
29. आप बॉडी स्क्रब में इसका उपयोग कर सकती हैं। सेंधा नमक का कण को आपके रोम छिद्रों को अंदर तक साफ करता है जो कोई भी साबुन नहीं कर सकता है। इससे आपकी त्वचा को फिर से सांस लेने की मौका मिलता है और त्वचा पर ग्लो आती है।
30. पैरों और हाथों की सफाई के लिए यह नमक त्वचा को ड्राई नहीं बनाता है, इसलिए आप इससे पैरों की एडिय़ों और हाथों को स्क्रब कर सकती है।
31. आपके हाथ के नाखून पीले हो रहे हैं तो पीलापन दूर करने के लिए सेंधा नमक के पानी में कुछ देर तक हाथ डुबोने से आपके पीले नाखून सफेद हो जाएंगे।
32. चेहरे से झुर्रियों को दूर करने के लिए सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है। सेंधा नमक में नींबू और अदरक के रस के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाएं।
33. सेंधा नमक या काला नमक को चेहरे पर हल्के हाथों से रगडऩे से चेहरे से दाग-धब्बे दूर होते हैं।
34. सेंधा नमक सांसों से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं को दूर करता है। अस्थमा से जूझ रहे मरीजों को सेंधा नमक का सेवन जरूर करना चाहिए।
35. मेटाबॉलिज्म सही रखता है, मूड को सही रखता है, तनाव की समस्या दूर करता है, भूख को बढ़ाता है, पेट की बीमारियों से छुटकारा।
36. आंखों के लिए अच्छा है, संक्रमण को राहत देने में मदद करता है।
37. हिचकी में उपयोगी।
38. कब्ज, सूजन से राहत मिलती है।



सेंधा नमक से सेहत को होने वाले अनगिनत लाभ एक्टिव और फिट रखता है रॉक साल्ट में लगभग 84 प्रकार के ऐसे मिनरल्स मौजूद होते हैं, जो सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। खासतौर से इसमें मौजूद मैग्नीशियम और कैल्शियम बहुत ही लाभ पहुंचाते हैं। ये बॉडी को फिट रखने के लिए सबसे जरूरी तत्व माने जाते हैं।
सेंधा नमक को खाने में शामिल करके बॉडी को एक्टिव और फिट रखा जा सकता है। सांसों की परेशानियों को दूर करता है बहुत ही कम लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि सेंधा नमक सांसों से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं को दूर करता है। अस्थमा से जूझ रहे मरीजों को सेंधा नमक का सेवन जरूर करना चाहिए।
Other benefits: मेटाबॉलिज्म सही रखता है, मूड को सही रखता है, तनाव की समस्या दूर करता है, भूख को बढ़ाता है, पेट की बीमारियों से छुटकारा।
मेटाबॉलिज्म सही रखता है : सेंधा नमक के सेवन से मेटाबॉलिज्म का लेवल सही बना रहता है, जो पूरी बॉडी के फंक्शन के लिए जिम्मेदार होता है। सेंधा नमक शरीर में पानी की उचित मात्रा को भी बनाए रखता है। इससे बॉडी को हाइड्रेट रहती है, साथ ही डाइजेशन भी सही रहता है। खाने में इसे शामिल करके ब्लड सर्कुलेशन को भी सही रखा जा सकता है। सही ब्लड सर्कुलेशन कई सारी बीमारियों को दूर रखने में मददगार होता है। मूड को सही रखता है सेंधा नमक बॉडी में ऑक्सीजन की उचित मात्रा को भी बनाए रखता है। बॉडी में ऑक्सीजन के सही फ्लो से कई बीमारियां दूर रहती हैं। इससे सीजनल बुखार में भी राहत मिलती है।
तनाव की समस्या दूर करता है : रॉक साल्ट लैम्पस में मौजूद अरोमा बॉडी और दिमाग को रिलैक्स करता है। इससे तनाव, चिंता जैसी समस्याएं कोसों दूर रहती हैं। भूख को बढ़ाता है भूख न लगने की समस्या को भी सेंधा नमक खाकर दूर किया जा सकता है। इसकी चुटकी भर मात्रा खाने से डाइजेशन सही रहता है। पेट की बीमारियों से छुटकारा खाने-पीने में लापरवाही और गड़बड़ी से अपच, कब्ज, गैस और एसिडिटी की समस्या आम बात है। यह कई बीमारियों का कारण बनती है। ऐसी किसी भी समस्या को दूर करने के लिए खाने के बाद सेंधा नमक का सेवन करना फायदेमंद रहेगा।

गारगल करें गुनगुने पानी में सेंधा नमक मिलाकर उससे गारगल करें। इससे न सिर्फ दांतों की चमक बढ़ती है, बल्कि गले से संबंधित कई प्रकार की परेशानियां भी दूर होती हैं। नहाएं बॉडी को रिलैक्स और रिफ्रेश करने के लिए सेंधा नमक को नहाने के पानी में मिलाएं या इससे बॉडी पर हल्का-सा मसाज करने के बाद गुनगुने पानी से नहाएं। दोनों ही तरीके बहुत ही फायदेमंद होते हैं। मसल्स को रिलैक्स करने के साथ ही यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है। साथ ही, बॉडी को डिटॉक्सीफाई भी करता है। पानी में मिलाकर पिएं पानी या लस्सी में सेंधा नमक मिलाकर पीना बहुत ही फायदेमंद रहेगा। ये डाइजेशन से संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करता है और पेट की समस्याओं से निजात दिलाता है।

Wednesday 16 March 2016

बेर के नियमित सेवनसे त्वचा लंबी उम्र तक जवां बनी रहेगी

सर्दियों के दिनों में फलों की टोकरी में एक नयाछोटासा लेकिन बड़े फायदों वाला फल भी आया हुआ है। कुछ ही समय के लिए बाजार में आने वाला बेर कई गुणों का खजाना है। बेर बहुत ही उपयोगी और पोषक तत्वों से भरपूर फल है। बेर को ज्यादातर लोगों ने बचपन में खाया होगा बेर बहुत ही उपयोगी और पोषक तत्वों से भरपूर फल है। इन दिनों बेर का मौसम भी है। बेर को अधिकतर लोग बचपन में तो बहुत पसंद करते हैंलेकिन बड़े होने पर खट्टेपन के कारण इसे नहीं खाते हैं। साथ हीएक बड़ा कारण यह भी है कि लोग इसके गुणों से अनजान हैं। आज हम आपको बता रहे हैंबेर खाने से क्या-क्या फायदे होते हैं। बेर एक मौसमी फल है. हल्के हरे रंग का यह फल पक जाने के बाद लाल-भूरे रंग का हो जाता है. बेर को चीनी खजूर के नाम से भी जाना जाता है. चीन में इसका इस्तेमाल कई प्रकार की दवाइयों को बनाने में किया जाता है. बेर में बहुत कम मात्रा में कैलोरी होती है लेकिन ये ऊर्जा का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है. इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व, विटामिन और लवण पाए जाते हैं. इन पोषक तत्वों के साथ ही ये एंटी-ऑक्सीडेंट के गुणों से भी भरपूर होता है.




सेहत के लिए किस तरह फायदेमंद है बेर?

1. रसीले बेर में कैंसर कोशिकाओं को पनपने से रोकने का गुण पाया जाता है.
2. अगर आप वजन कम करने के उपाय खोज रहे हैं तो बेर आपके लिए एक अच्छा विकल्प है. इसमें कैलोरी न के बराबर होती है.
3. बेर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी, विटामिन ए और पोटैशियम पाया जाता है. ये रोग प्रतिरक्षा तंत्र को बेहतर बनाने का काम करता है.
4. बेर एंटी-ऑक्सीडेंट्स का खजाना है. लीवर से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए भी यह एक फायदेमंद विकल्प है.
5. बेर खाने से त्वचा की चमक लंबे समय तक बरकरार रहती है. इसमें एंटी-एजिंग एजेंट भी पाया जाता है.
6. अगर आप कब्ज की समस्या से जूझ रहे हैं तो बेर खाना आपको फायदा पहुंचा सकता है. यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है.
7. बेर में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और फाॅस्फोरस पाया जाता है. यह दांतों और हड्ड‍ियों को मजबूत बनाता है.

बेर दो तरह के होते है एक बड़े आकर वाले और दूसरे छोटवाले होते है पका बेर स्वाद के साथ शरीर को कई रोग से बचाता है
गुर्दो में दर्द हो जाये तो बेरी के पत्तो को पीस कर उसका लेप पेट के गुर्दे वाली जगह पर करने से दर्द शांत होता है
बालों के झड़ने या रूखेपन से बचाने के लिए बेरी के पत्तो को हाथ से मसल कर पानी में उबाल ले और उस पानी को छान कर उससे सिर धोये तो इन समस्याओ से निजात मिलती है और रुसी की परेशानी भी हल हो जाती है

मुंह के छालों की समस्या हो जाये तो बेरी की छाल को अच्छी तरह सुखा कर चूर्ण बनाये और उस चूर्ण को छालों पर लगाये तो आराम मिलेगा

टी बी जैसे खतरनाक रोग का बहुत ही सरल उपाय बेर है मरीज़ दिन में - बार एक पाव बेर प्रतिदिन सेवन करने से टी बी से बचाव और रोगमुक्ति संभव है

नाक में फुंसी हो जाये तो बहुत परेशान करती है अतः एक बेर को छील कर बार बार सूंघे तो ये ठीक हो जाती है
अंतड़ियों में घाव हो या पाचन शक्ति कमजोर हो तो मरीज़ को सुबह जल्दी उठकर खाली पेट एक पाव बेर खाने चाहिए, दिन में भोजन के बाद बेर खाने चाहिए और साँझ के समय खाने के बाद बेर खा सके तो उसका रस पी ले तो अंतड़ियों की सभी परेशानी दूर हो जाती है  

इनके खाने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है

एसिडिटी :
1. खाने से पहले दो चम्मच शहद पर थोड़ा-सा दालचीनी पावडर बुरककर चाटने से एसिडिटी में राहत मिलती है और खाना अच्छे से पचता है।

2.सीने में जलन, खट्टी डकार जैसा महसूस हो तो पानी में नींबू का रस डालकर पिएं। नींबू के पाचक गुणों के कारण ये सारी तकलीफें दूर हो जाएंगी। नींबू का अचार भी भोजन के साथ प्रयोग करना काफी लाभकारी रहता है।

सिर दर्द :
1.सिर दर्द होने पर गुनगुने पानी में अदरक नीबू का रस थोड़ा सा नमक मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
कुछ खास हैंबेरमें
त्वचा पर कट या घाव होने पर फल का गुदा घिसकर लगाने से घाव जल्दी भरता हैं।
फेंफडे सम्बन्धी बीमारी और बुखार ठीक करने के लिए इसका जूस बेहद लाभकारी माना जाता है।

बेर को नमक और काली मिर्च के साथ खाने से अपच की समस्या दूर होती हैं।
सूखे हुए बेर खाने से कब्जियत और पेट सम्बन्धित पुरानी बीमारी भी दूर होती हैं।
बेर को छाछ के साथ लेने से घबराहट और उलटी होना और पेट में दर्द की समस्या ख़त्म होती है।
बेर की पत्तियां तेल के साथ लुग्दी बनाकर शरीर पर लगाने से लीवर सम्बन्धी समस्या में लाभ मिलता हैं।
बेर के नियमित सेवन से अस्थमा और मसूडो के घाव को भरने में मदद मिलती हैं।
बेर की जड़ों का जूस थोड़ी सी मात्रा मे पिने से गठिया और वात जैसी बीमारी को केवल कम किया जा सकता है, बल्कि बढने से भी रोका जा सकता है।
बेर का फल खुश्की और थकान दूर करने की ताकत रखते हैं।
बेर और नीम के पत्ते पीसकर लगाने से सिर के बाल गिरने कम होते है।
डायबिटीज से बचना है तो खाएं जामुन, चॉकलेट
एक अध्ययन में पता चला है कि जामुन, चाय और चॉकलेट का हर रोज पर्याप्त मात्रा में सेवन करने से मधुमेह का खतरा कम रहता है। ईस्ट एंजेलिया विश्वविद्यालय एवं ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के मुताबिक जामुन, चाय और चॉकलेट में मौजूद फ्लेवोनॉयड एवं एंथोसाइनिंस का उच्च स्तर टाइप 2 मधुमेह से रक्षा करता है।

बैर में कार्बोज 20-30 G.m., प्रोटीन 2.5 G.m., वसा 0.07 G.m., थाईमिन 0.02 M.g., राईबोफ्लेविन 0.03 M.g., कैल्शियम 25.6 M.g., आयरन 1.5-1-8 M.g., फॉस्फोरस 26.8 M.g. आदि पोषक तत्व उपस्थित होते हैं। चलिए आज जानते हैं बेर खाने से होने वाले कुछ बेहतरीन फायदों के बारे में...


ट्यूमर से बचाव-
मेडिकल अध्ययन के अनुसार बेर से लो-ब्लड प्रेशर, अनीमिया, लिवर की समस्याओं से राहत मिलती है। यह शरीर में ट्यूमर सेल्स पनपने नहीं देता। इसे खाने से स्किन भी ग्लो करती है।

विटमिन सी से भरपूर होता है-
संतरे और नींबू की ही तरह बेर में भी प्रचूर मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है। इसमें अन्य फलों के मुकाबले विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा ज्यादा होती है। संतरे और नींबू में मौजूद विटमीन सी का बेहतरीनविकल्प है बेर। बेर में विटमिन सी की मात्रा खट्टे फलों से 20 गुना ज्यादा है। सर्दियों में संतरे और नींबू की जगह आप बेर का इस्तेमाल कर इस की कमी पूरी कर सकते हैं। इसके सेवन से त्वचा लंबी उम्र तक जवां बनी रहती है।

पेट दर्द की समस्या खत्म कर देता है-
बेर को छाछ के साथ लेने से पेट दर्द की समस्या खत्म हो जाती है।

दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है-
बेर खाने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है। इस कारण दिल से जुड़ी बीमारियां होने की संभावना कम हो जाती है।

बालों के लिए फायदेमंद-
बेर की पत्तियों में 61 आवश्यक प्रोटीन पाए जाने के साथ विटामिन सी, केरिटलॉइड और बी कॉम्प्लेक्स भी अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह बालों को घना और हेल्दी बनाता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है-
बेर में मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कॉपर, कैल्शियम और आयरन और खनिज पदार्थ भी मौजूद होते हैं। इन तत्वों से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। जिससे शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही इंफेक्शन से लड़ने में भी मदद मिलती है। 

घाव जल्दी भर देता है-
बेर की पत्तियों को पीसकर तेल के साथ लेप बनाकर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है। बेर का गूदा लगाने से भी घाव ठीक हो जाता है।

खांसी बुखार में और फेफड़ों के लिए है फायदेमंद-
बेर में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइन्फ्लामेटरी गुण होते हैं। बेर का जूस खांसी, फेफड़े की बीमारियों और बुखार के इलाज में भी सहायक है। वैज्ञानिकों ने इसमें आठ तरह के फ्लेवेनॉयड ढूंढे हैं। इसमें ऐंटी-ऑक्सिडेंट और ऐंटी-इंफ्लमेटरी गुण भी हैं, जिससे ये सूजन भी भगाता है।

अनिद्रा की समस्या दूर हो जाती है और  नींद लाने में मददगार-
बेर में 18 प्रकार के महत्वपूर्ण अमीनो ऐसिड मौजूद हैं, जो शरीर में प्रोटीन को संतुलित करते हैं। साथ ही, अनिद्रा की समस्या दूर करते हैं। चीनी दवाओं में इसके बीज से और अनिद्रा (इंसोमेनिया) का इलाज होता है।