Friday 25 March 2016

आम के लाभ

आम के फल को शास्त्रों में अमृत फल माना गया है इसे दो प्रकार से बोया (उगाया) जाता है पहला गुठली बोकर उगाया जाता है जिसे बीजू या देशी आम कहते हैं। दूसरा आम का पेड़ जो कलम द्वारा उगाया जाता है। इसका पेड़ 30 से 100 फुट तक ऊंचा होता है।
इसके पत्ते 10 से 30 सेमी लम्बे तथा 2.5 से 7 सेमी चौडे़ होते हैं। आम के फूल देखने में छोटे-छोटे और हरे-पीले होते हैं। वसंत ऋतु में फूल (मौर) और ग्रीष्म ऋतु में फल उगते हैं। इस पेड़ के सभी भाग दवाइयों के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
विभिन्न भाषाओं में नाम :- 
संस्कृत आम्र
हिंदी आम
बंगला आम
कर्नाटकी माविनेमार या मावपहेष्ण
तैलगी मामिडी चेट्ट या मवीं
तमिल मार्मर
मलयालम मावु
मराठी ऑंबा
गुजराती ऑंबो
अरबी अबज
अग्रेंजी मैंगों
लैटिन मैंगीफेरा इंडिका
रंग : कच्चे आम का रंग हरा व पक्के आम का रंग पीला होता है।
स्वभाव : यह तर और गर्म प्रकृति का होता है।
स्वाद : आम खट्टे और मीठे व स्वादिष्ट होते हैं।
आम की किस्में :
लंगड़ा, फजली, चौसा, दशहरी, तोतापरी, गुलाब खास, पायरी, सफेदा, नीलम, हाफुस, अलकासो आदि। आम के पेड़ ज्यादातर गर्म देशों में होते हैं।
गुण :
ग्रन्थों के अनुसार आम का फल खट्टा, स्वादिष्ट, वात, पित्त को पैदा करने वाला होता है, किन्तु पका हुआ आम मीठा, धातु को बढ़ाने वाला (वीर्यवर्धक), शक्तिवर्धक, वातनाशक, ठंडा, दिल को ताकत देने वाला, पित्त को बढ़ाने वाला और त्वचा को सुन्दर बनाने वाला होता है।
यूनानियों के अनुसार कच्चे आम का स्वाद खट्टा, पित्तनाशक, भूख बढ़ाने वाला, पाचन शक्ति बढ़ाने वाला और कब्ज दूर करने वाला होता है।
वैज्ञानिकों द्वारा आम पर विश्लेषण करने पर यह पता चला है कि इसमें पानी की मा़त्रा 86 प्रतिशत, वसा 0.4 प्रतिशत, खनिज 0.4 प्रतिशत, प्रोटीन 0.6 प्रतिशत, कार्बोहाड्रेट 11.8 प्रतिशत, रेशा 1.1 प्रतिशत, ग्लूकोज आदि पाया जाता है।
दुष्प्रभाव :
अधिक मात्रा में कच्चे आम का सेवन करने पर वीर्य में पतलापन, मसूढ़ों में कष्ट, तेज बुखार, आंखों का रोग, गले में जलन, पेट में गैस और नाक से खून आना इत्यादि विकार उत्पन्न हो जाते हैं। खाली पेट आम खाना शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। भूखे पेट आम नहीं खाना चाहिए। आम के अधिक सेवन से अपच की शिकायत होती है। रक्त विकार, कब्ज बनती है। अधिक अमचूर खाने से धातु दुर्बल होकर नपुंसकता आ जाती है।
विशेष :
• आम के कच्चे फलों को अधिक खाने से मंदाग्नि, विषमज्वर (टायफाइड), रक्तविकार, कब्ज एवं नेत्ररोग उत्पन्न होते हैं।
• आम के खाने के बाद पाचन सम्बन्धी शिकायत होने पर, दो-तीन जामुन खा लें। जामुन में आम को पचाने की तीव्र शक्ति होती है। जामुन उपलब्ध न होने पर, चुटकी भर नमक और सौंठ पीसकर खा लें।
• यकृत और जलोदर के रोगी को आम नहीं खाना चाहिए।
• आम खाने के बाद, दूध, जामुन, कटहल की गुठली, सूक्ष्म मात्रा में सौंठ, नमक या सिकंज के बीज सेवन करना चाहिए।
• आम के सेवन के बाद दूध पीना चाहिए तथा पानी नहीं पीना चाहिए।
विभिन्न रोगों में आम का उपयोग
1. कमजोरी : 
• दूध में आम का रस मिलाकर पीने से शरीर की कमजोरी दूर होती है और वीर्य बनता है।
• अच्छे पके हुए मीठे देशी आमों का ताजा रस 250 से 350 मिलीलीटर तक, गाय का ताजा दूध 50 मिलीलीटर अदरक का रस 1 चम्मच तीनों को कांसे की थाली में अच्छी तरह फेट लें, लस्सी जैसा हो जाने पर धीरे-धीरे पी लें। 2-3 सप्ताह सेवन करने से मस्तिष्क की दुर्बलता, सिर पीड़ा, सिर का भारी होना, आंखों के आगे अंधेरा हो जाना आदि दूर होता है। यह गुर्दे के लिए भी लाभदायक है।
2. सूखी खांसी : पके आम को गर्म राख में भूनकर खाने से सूखी खांसी खत्म हो जाती है।
3. नींद न आना : दूध के साथ पका आम खाने से अच्छी नींद आती है।
4. भूख न लगना : आम के रस में सेंधानमक तथा चीनी मिलाकर पीने से भूख बढ़ती है।
5. खून की कमी :
• एक गिलास दूध तथा एक कप आम के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर नियमित रूप से सुबह-शाम पीने से लाभ प्राप्त होगा।
• 300 मिलीलीटर आम का जूस प्रतिदिन पीने से खून की कमी दूर होती है।
6. दांत व मसूढ़े के लिए : 
• आम की गुठली की गिरी (गुठली के अंदर का बीज) पीसकर मंजन करने से दांत के रोग तथा मसूढ़ों के रोग दूर हो जाते हैं।
• आम के फल की छाल व पत्तों को समभाग पीसकर मुंह में रखने से या कुल्ला करने से दांत व मसूढ़े मजबूत होते हैं।
7. मिट्टी खाने की आदत :
• बच्चों को पानी के साथ आम की गुठली की गिरी का चूर्ण मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाने से ये आदत छूट जाती है और पेट के कीड़े भी मर जाते हैं।
• बच्चे को मिट्टी खाने की आदत हो तो आम की गुठली का चूर्ण ताजे पानी से देना लाभदायक है। गुठली को सेंककर सुपारी की तरह खाने से भी मिट्टी खाने की आदत छूट जाती है।
8. नाक से खून आना : रोगी के नाक में आम की गुठली की गिरी का रस एक बूंद टपकाएं।
9. मकड़ी का जहर : 
• मकड़ी के जहर पर कच्चे आम के अमचूर को पानी में मिलाकर लगाने से जहर का असर दूर हो जाता है।
• गुठली को पीसकर लगाने से अथवा अमचूर को पानी में पीसकर लगाने से छाले मिट जाते हैं।
10. रक्तस्राव : आम की गुठली की गिरी का एक चम्मच चूर्ण बवासीर तथा रक्तस्राव होने पर दिन में 3 बार प्रयोग करें।
11. आग से जलने पर :
आम के पत्तों को जलाकर इसकी राख को जले हुए अंग पर लगायें। इससे जला हुआ अंग ठीक हो जाता है।
गुठली की गिरी को थोड़े पानी के साथ पीसकर आग से जले हुए स्थान पर लगाने से तुरन्त शांति प्राप्त होती है।
12. धातु को पुष्ट करने के लिए : आम के बौर (आम के फूल) को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें और इसमें मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच दूध के साथ नियमित रूप से लें। इससे धातु की पुष्टि (गाढ़ा) होती है।
13. हाथ-पैरों की जलन :
हाथ-पैरों पर आम के फूल को रगड़ने पर लाभ पहुंचेगा।
आम की बौर (फल लगने से पहले निकलने वाले फूल) को रगड़ने से हाथों और पैरों की जलन समाप्त हो जाती है।
14. प्लीहा वृद्धि (तिल्ली के बढ़ने पर) : 15 ग्राम शहद में लगभग 70 मिलीलीटर आम का रस रोजाना 3 हफ्ते तक पीने से तिल्ली की सूजन और घाव में लाभ मिलता है। इस दवा को सेवन करने वाले दिन में खटाई न खायें।
15. पाचन शक्ति (खाना पचाने की क्रिया) :
रेशेदार आम गुणकारी व कब्जनाशक होते हैं, आम खाने के बाद दूध पीने से आंतों को बल मिलता है। 70 मिलीलीटर मीठे आम का रस 2 ग्राम सौंठ मिलाकर प्रात: काल पीने से पाचनशक्ति बढ़ती है।
जिस आम में रेशे हो वह भारी होता है। रेशेदार आम अधिक सुपाच्य, गुणकारी और कब्ज को दूर करने वाला होता है। आम चूसने के बाद दूध पीने से आंतों को बल मिलता है। आम पेट साफ करता है। इसमें पोषक और रुचिकारक दोनों गुण होते हैं। यह यकृत की निर्बलता तथा रक्ताल्पता (खून की कमी) को ठीक करता है। 70 मिलीलीटर मीठे आम का रस, 2 ग्राम सोंठ में मिलाकर सुबह पीने से पाचन-शक्ति बढ़ती है।
16. मधुमेह (डायबिटीज) :
आम के कोमल पत्तों का छाया में सुखाया हुआ चूर्ण 25 ग्राम की मात्रा में सेवन करना मधुमेह में उपयोगी है।
जामुन व आम का रस एक समान मात्रा में मिलाकर नियमित रूप से पीने से मधुमेह ठीक हो जाता है।
छाया में सुखाए हुए आम के 1-1 ग्राम पत्तों को आधा किलो पानी में उबालें, चौथाई पानी शेष रहने पर छानकर सुबह-शाम पिलाने से कुछ ही दिनों में मधुमेह दूर हो जाता है
आम के पत्तों को छाया में सुखाकर कूट छान लें। इसे 5-5 ग्राम सुबह-शाम पानी से 20-25 दिन लगातार सेवन से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
आम के 8-10 नये पत्तों को चबाकर खाने से मधुमेह पर नियंत्रण होता है।
17. सूखा रोग (रिकेटस): कच्चे आम के अमचूर को भिगोकर उसमें 2 चम्मच शहद मिला लें। इसे 1 चम्मच दिन में 2 बार लेने से सूखा रोग में आराम मिलता है।
18. लू लगने पर :
लू लगने पर केरी यानी कच्चे आम की छाछ पीने से लाभ होता है। जिस किसी को गर्मी या लू लग जाय, मुंह और जबान सूखने लगे, माथे, हाथ-पैर में पसीना छूटने लगे, दिल घबरा जाए और प्यास ही प्यास लगे तो ऐसी अवस्था में रोगी को केरी की छाछ निम्न विधि से बनाकर देना चाहिए। एक बड़ा-सा कच्चा आम उबालें या कोयलों की आग के नीचे दबा दें जब वह बैगन की तरह काला पड़ जाय तो उसे निकाल लें और ठंडे पानी में रखकर जले हुए छिलके उतार लें और इसे दही की तरह मथकर इसके गूदे में गुड़, जीरा, धनियां, नमक और कालीमिर्च डालकर इसे अच्छी तरह मथ लें और आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर दिन में 3 बार पीयें तो लू में लाभ होगा।
आम की कच्ची कैरी को गर्म राख में भूनकर, जल में उसके गूदे को मिलाकर थोड़ी-सी शक्कर डालकर पिलाने से लू का प्रकोप खत्म हो जाता है। लू लगने के कारण होने वाली जलन और बेचैनी से भी बचा जा सकता है।
कच्चे आम (कैरी) का शर्बत (पन्ना) बनाकर पीने से लू तथा बेचैनी में कमी आती है।
19. विषैले दन्त द्वारा काटे जाने पर :
पागल कुत्ते के, बंदर के, बिच्छू, मकड़ी का विष, ततैया के काटे जाने पर आम की गुठली पानी के साथ घिसकर लगाने से दर्द व घाव में आराम मिलता है।
अमचूर और लहसुन समान मात्रा में पीसकर बिच्छू दंश के स्थान पर लगाने से बिच्छू का जहर उतर जाता है।
20. गुर्दे की दुर्बलता : प्रतिदिन आम खाने से गुर्दे की दुर्बलता दूर हो जाती है।
21. अजीर्ण :
लगभग 10-15 ग्राम आम की चटनी को अजीर्ण रोग में रोगी को दिन में दो बार खाने को दें।
3-6 ग्राम आम की गुठली का चूर्ण अजीर्ण में दिन में 2 बार दें।
22. अर्श (खूनी बवासीर) :
आम की अन्त:छाल का रस दिन में 20-40 मिलीलीटर तक दो बार पिलायें। इससे बवासीर, रक्तप्रदर या खूनी दस्त के कारण होने वाले रक्तस्राव (खून का बहाव) में लाभ होता है।
15 से 30 मिलीलीटर आम के पत्तों का रस शहद के साथ दिन में 3 बार लें एवं ऊपर से दूध का सेवन करें।
आम की गुठली की गिरी का चूर्ण 1 से 2 ग्राम दिन में 2 बार सेवन करें।
23. तृष्णा (बार-बार प्यास लगना) :
लगभग 7 से 15 मिलीलीटर आम के ताजे पत्तों का रस या 15 से 30 मिलीलीटर सूखे पत्तों का काढ़ा चीनी के साथ दिन में 3 बार पीयें।
गुठली की गिरी के 50-60 मिलीलीटर काढ़े में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से भयंकर प्यास शांत होती है।
24. शरीर में जलन:
भुने हुए या उबाले हुए कच्चे आम के गूदे का लेप बनाकर लेप करें।
आम के फल को पानी में उबालकर या भूनकर इसका लेप बना लें और शरीर पर लेप करें इससे जलन में ठंडक मिलती है।
25. बच्चों के दस्त :
7 से 30 ग्राम आम के बीज की मज्जा तथा बेल के कच्चे फलों की मज्जा का काढ़ा दिन में 3 बार प्रयोग करें।
आम के गुठली की गिरी भून लें। 1-2 ग्राम की मात्रा में चूर्ण कर 1 चम्मच शहद के साथ दिन में 2 बार चटावें। यदि रक्तातिसार (खूनी दस्त) हो तो आम की अन्तरछाल को दही में पीस कर पेट पर लेप करें।
26. यकृत-प्लीहा का बढ़ना : 10 मिलीलीटर फलों का रस शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से रोग ठीक होता है।
27. सुन्दर, सिल्की और लंबे बाल : आम की गुठलियों के तेल को लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं तथा काले बाल जल्दी सफेद नहीं होते हैं। इससे बाल झड़ना व रूसी में भी लाभ होता है।
28. स्वरभंग : आम के 50 ग्राम पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर चौथाई भाग शेष काढ़े में मधु मिलाकर धीरे-धीरे पीने से स्वरभंग में लाभ होता है।
29. खांसी और स्वरभंग : पके हुए बढ़िया आम को आग में भून लें। ठंडा होने पर धीरे-धीरे चूसने से सूखी खांसी मिटती है।
30. लीवर की कमजोरी : लीवर की कमजोरी में (जब पतले दस्त आते हो, भूख न लगती हो) 6 ग्राम आम के छाया में सूखे पत्तों को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें। 125 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर छानकर थोड़ा दूध मिलाकर सुबह पीने से लाभ होता है।
31. अतिसार :
आम की गुठली की गिरी को लगभग 6 ग्राम की मात्रा में 100 मिलीलीटर पानी में उबालें। इसके बाद इसमें लगभग 6 ग्राम गिरी और मिलाकर पीस लें। इसे दिन में 3 बार दही के साथ सेवन करें तथा खाने में चावल और दही लें।
गुठली की गिरी 10 ग्राम, बेलगिरी 10 ग्राम तथा मिश्री 10 ग्राम तीनों का चूर्णकर 3-6 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से अतिसार में लाभ होता है। गुठली की गिरी व आम का गोंद समभाग लेकर 1 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से अतिसार मिटता है।
आम की गुठली की 10 से 20 ग्राम गिरी को कांजी के साथ पीसकर पेट पर गाढ़ा लेप करने से बहुत लाभ होता है।
आम के पेड़ की अन्तरछाल 40 ग्राम जौ कूटकर आधा किलो पानी में अष्टमांश काढ़ा सिद्ध करें। ठंडा होने पर इसमें थोड़ा शहद मिलाकर पिलाने से अतिसार (दस्त) विशेषकर आमातिसार में लाभ होता है।
आम की ताजी छाल को दही के पानी के साथ पीसकर पेट के आसपास लेप करने से लाभ होता है।
मिसरी, बेल की गिरी तथा आम की गुठली की गिरी एक समान मात्रा में पीसकर 1-1 चम्मच दिन में 3 बार ग्रहण करें।
15 से 30 मिलीलीटर आम के तने की छाल का काढ़ा दिन में तीन बार दें।
5 ग्राम आम के तने की छाल या जड़ की छाल का चूर्ण शहद एवं बकरी के दूध के साथ दिन में तीन बार दें।
15 से 30 मिलीलीटर आम, जामुन एवं आंवलों के पत्तों से निकाला रस बकरी के दूध के साथ तीन बार दें।
32. गर्भिणी के आमातिसार : पुराने आम की गुठली की गिरी का चूर्ण 5-5 ग्राम को शहद या पानी के साथ भोजन के 2 घंटे पहले दिन में 3 बार सेवन कराने से लाभ होता है। भोजन में नमकीन चावल बिना घी डाले ले सकते हैं।
33. हैजा :
हैजे की शुरुआती अवस्था में 20 ग्राम आम के पत्तों को कुचलकर आधा किलो पानी में उबालें जब यह एक-चौथाई की मात्रा में शेष बचे तो इसे छानकर गर्म-गर्म पिलाने से लाभ होता है।
आम का शर्बत या आम का पना बार-बार पिलाना भी लाभकारी होता है।
250 ग्राम आम के पत्तों को कुचलकर 500 मिलीलीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो उसे छानकर रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर बाद, कई बार पिलाएं।
25 ग्राम आम के मुलायम पत्ते पीसकर एक गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न हो जाये और छानकर गर्म-गर्म दिन में दो बार पिलाने से अथवा कच्चे आम 20 ग्राम कूट कर दही के साथ सेवन करने से हैजा खत्म हो जाता है।
34. बालों का झड़ना : नरम टहनी के पत्तों को पीसकर लगाने से बाल बड़े व काले होते हैं। पत्तों के साथ कच्चे आम के छिलकों को पीसकर तेल मिलाकर धूप में रख दें। इस तेल के लगाने से बालों का झड़ना रुक जाता है व बाल काले हो जाते हैं।
35. उल्टी-दस्त : आम के ताजे कोमल 10 पत्ते और 2-3 कालीमिर्च दोनों को पानी में पीसकर गोलियां बना लें। किसी भी दवा से बंद न होने वाले, उल्टी-दस्त इससे बंद हो जाते हैं।
36. संग्रहणी :
ताजे मीठे आमों के 50 मिलीलीटर ताजे रस में 20-25 ग्राम मीठा दही तथा 1 चम्मच शुंठी चूर्ण बुरककर दिन में 2-3 बार देने से कुछ ही दिन में पुरानी संग्रहणी (पेचिश) दूर होती है।
कच्चे आम की गुठली (जिसमें जाली न पड़ी हो) का चूर्ण 60 ग्राम, जीरा, कालीमिर्च व सोंठ का चूर्ण 20-20 ग्राम, आम के पेड़ के गोंद का चूर्ण 5 ग्राम तथा अफीम का चूर्ण एक ग्राम इनको खरलकर, वस्त्र में छानकर बोतल में डॉट बंद कर सुरक्षित करें। 3-6 ग्राम तक आवश्यकतानुसार दिन में 3-4 बार सेवन करने से संग्रहणी, आम अतिसार, रक्तस्राव (खून का बहना) आदि का नाश होता है।
37. भूख बढ़ना : आम के फूलों (बौर) का काढ़ा या चूर्ण सेवन करने से अथवा इनके चूर्ण में चौथाई भाग मिश्री मिलाकर सेवन करने से अतिसार, प्रमेह, भूख बढ़ाने में लाभदायक है।
38. प्रमेह (वीर्य विकार) : आम के फूलों के 10-20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम खांड मिलाकर सेवन करने से प्रमेह में बहुत लाभ होता है।
39. स्त्री के प्रदर में : कलमी आम के फूलों को घी में भूनकर सेवन करने से प्रदर में बहुत लाभ होता है। इसकी मात्रा 1-4 ग्राम उपयुक्त होती है।
40. एड़ी का फटना : आम के ताजे कोमल पत्ते तोड़ने से एक प्रकार का द्रव पदार्थ निकलता है इस द्रव पदार्थ को एंड़ी के फटे हिस्से में भर देने से तुरन्त लाभ होता है।
41. आम की चाय : आम के 10 पत्ते, जो पेड़ पर ही पककर पीले रंग के हो गये हो, लेकर 1 लीटर पानी में 1-2 ग्राम इलायची डालकर उबालें, जब पानी आधा शेष रह जाये तो उतारकर शक्कर और दूध मिलाकर चाय की तरह पिया करें। यह चाय शरीर के समस्त अवयवों को शक्ति प्रदान करती है।
42. धातु को बढ़ाने वाला : आम के फूलों के चूर्ण (5-10 ग्राम) को दूध के साथ लेने से स्तम्भन और कामशक्ति की वृद्धि होती है।
43. भैंसों का चारा : आम की गुठली की गिरी का अनाज और चारे की जगह अच्छा प्रयोग हो सकता है। इसमें प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट काफी मात्रा में पाये जाते हैं।
44. सूतिकृमि (पेट के कीड़े) : कच्चे आम की गुठली का चूर्ण 250 से 500 मिलीग्राम तक दही या पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से सूत जैसे कृमि नष्ट हो जाते हैं।
45. शक्तिवर्द्धक :
रोज सुबह मीठे आम चूसकर, ऊपर से सौंठ व छुहारे डालकर पकाये हुए दूध को पीने से पुरुषार्थ वृद्धि और शरीर पुष्ट होती है।
आम का रस 250 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से और इसके ऊपर से दूध पीने से शरीर में ताकत आती है।
46. दाद, खुजली, घाव आदि चर्म रोग में :
आम के कच्चे फलों को तोड़कर (जिनमें जाली न पड़ी हो), कुचलकर कपड़े में छानकर रस निकाल लें। रस का चौथाई भाग देशी शराब मिलाकर शीशी में भर कर रखें। 2 दिन बाद प्रयोग करें। इसके लगाने से पुरानी दाद, चम्बल आदि बीमारियां शीघ्र मिटती हैं। गहरे से गहरे नासूर भी इसे दिन में 2 बार लगाने से दूर होते हैं। इसे रूई की फुहेरी से लगाने से फूटी हुई कंठमाला, भगंदर, पुराने फोड़े आदि जड़ से दूर हो जाते हैं। इसे लगाने से बवासीर के मस्से भी सूख जाते हैं।
आम को तोड़ते समय, आमफल की पीठ में जो गोंदयुक्त रस (चोपी) निकलती है, उसे दाद पर खुजलाकर लगा देने से फौरन छाला पड़ जाता है और फूटकर पानी निकल जाता है। इसे 2-3 बार लगाने से रोग से छुटकारा मिल जाता है।
47. फोड़ों पर : आम के पेड़ का गोंद थोड़ा गर्म करके लगाने से फोड़ा पूरा पककर फूटकर बह जाता है और घाव आसानी से भर जाता है।
48. घमौरियां : गरमी के दिनों में शरीर पर पसीने के कारण छोटी-छोटी फुन्सियां हो जाती हैं, इन पर कच्चे आम को धीमी अग्नि में भूनकर, गूदे का लेप करने से लाभ होता है।
49. पेचिश :
दस्त में रक्त आने पर आम की गुठली पीसकर छाछ में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
आम के पत्तों को छाया में सुखाकर पीसकर कपड़े में छान लें। नित्य 3 बार आधा चम्मच की फंकी गर्म पानी से लें।
आम की गुठली को सेंककर नमक लगाकर प्रतिदिन खाने से दस्त होने पर पेट को ताकत मिलती है। 1-1 गुठली 3 बार नित्य खायें।
50. दांतों की मजबूती : आम के ताजे पत्ते खूब चबायें और थूकते जायें। थोड़े दिन के निरंतर प्रयोग से हिलते दांत मजबूत हो जायेंगे तथा मसूढ़ों से रक्त गिरना बंद हो जायेगा।
51. यक्ष्मा (टी.बी.) : एक कप आम के रस में 60 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम नित्य पीयें। नित्य 3 बार गाय का दूध पीयें। इस प्रकार 21 दिन करने से यक्ष्मा में लाभ होता है।
52. मस्तिष्क की कमजोरी : एक कप आम का रस, चौथाई कप दूध, एक चम्मच अदरक का रस, स्वाद के अनुसार चीनी सब मिलाकर एक बार नित्य पीयें। इससे मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है। मस्तिष्क की कमजोरी के कारण पुराना सिर दर्द, आंखों के आगे अंधेरा आना दूर होता है। शरीर स्वस्थ रहता है। यह रक्तशोधक भी है तथा यह हृदय, यकृत को भी शक्ति देता है।
53. शरीर में खून की कमी दूर करना : आम खाने से रक्त बहुत पैदा होता है। दुबले, पतले लोगों का वजन बढ़ता है। मूत्र खुलकर आता है। शरीर में स्फूर्ति आती है। आम का मुरब्बा भी ले सकते हैं।
54. सौंदर्यवर्धक : लगातार आम का सेवन करने से त्वचा का रंग साफ होता है तथा रूप में निखार आकर चेहरे की चमक बढ़ती है।
55. पायरिया : आम की गुठली की गिरी के महीन चूर्ण का मंजन करने से पायरिया एवं दांतों के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
56. पथरी :
आम के मुलायम व ताजे पत्ते छाया में सुखाकर महीन पीस लें और इस चूर्ण को एक चम्मच प्रतिदिन सुबह बासी मुंह पानी के साथ लें। इसके परिणामस्वरूप पथरी पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है।
आम के पत्तों को सुखाकर महीन (बारीक) चूर्ण बनाकर रखें। प्रतिदिन सुबह-शाम 2 चम्मच चूर्ण पानी के साथ खायें। इसको खाने से कुछ दिनों में ही पथरी गलकर पेशाब के द्वारा निकल जाती है।
57. बिच्छू काटना : अमचूर और लहसुन समान मात्रा में पीसकर काटे स्थान पर लगाने से बिच्छू का जहर मिट जाता है।
58. अनिद्रा : सोते समय रात को आम खाएं व दूध पीयें। इस प्रयोग से नींद अच्छी आएगी।
59. जलोदर : आम खाने से जलोदर रोग में लाभ होता है। नित्य 2-3 आम खायें।
60. अंडकोष की सूजन :
आम के पेड़ की गांठ को गाय के दूध में पीसकर लेप करने से अंडकोष की सूजन कम हो जाती है।
25 ग्राम की मात्रा में आम के कोमल पत्तों को पीसकर उसमें 10 ग्राम सेंधा नमक को मिलाकर हल्का-सा गर्म करके अंडकोष पर लेप करने से अंडकोष की सूजन मिट जाती है।
61. अंडकोष के एक सिरे का बढ़ना :
आम के पेड़ पर के बांझी (बान्दा) को गाय के मूत्र में पीसकर अंडकोष के बढ़े हिस्से पर लेप करने और सेंकने से लाभ होता है।
आम के पत्तों को नमक के साथ पीसकर लेप करें। इससे अंडकोष का बढ़ना, पानी भरना बंद हो जाता है।
62. श्वास या दमे का रोग :
आम की गुठली को फोड़कर उसकी गिरी निकाल लेते हैं। उसे सुखाकर पीस लेते हैं। इस चूर्ण की 5 ग्राम मात्रा शहद के साथ चाटने से लाभ मिलता है।
आम की गुठली के चूर्ण को 2-3 ग्राम मात्रा में शहद के साथ चाटने से दमा, खांसी में लाभ मिलता है तथा पेचिश भी ठीक हो जाती है।
63. बाल बढ़ाने के लिए : 10 ग्राम आम की गिरी को आंवले के रस में पीसकर बालों में लगाएं इससे बाल लम्बे और घने होते हैं।
64. बुखार होने पर : आम की चटनी बनाकर पीने से लू के कारण आने वाले बुखार में लाभ होता है।
65. रतौंधी :
अमोठ चूड़ा खाने से रतौंधी दूर होती है। आम का रस भी पीने से लाभ होता है।
रतौंधी रोग विटामिन `ए´ की कमी से होता है। आम में सभी फलों से ज्यादा विटामिन `ए´ होता है। इसलिए आम खाना रतौंधी रोग में लाभकारी है। चूसने वाला आम इस रोग में ज्यादा उपयोगी है।
66. अजंनहारी, गुहेरी : आम के पत्तों को डाली से तोड़ने पर जो रस निकलता है उस रस को गुहेरी पर लेप करने से गुहेरी जल्दी समाप्त हो जाती है।
67. मसूढ़ों के रोग : आम की गुठली की गिरी को बारीक पीसकर मंजन बना लें। इससे रोजाना मंजन करने से दांत व मसूढ़ों के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
68. खांसी : आम की गुठली की गिरी को सुखाकर पीस लेते हैं इसमें से एक चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से खांसी से छुटकारा मिल जाता है।
69. आमाशय (पेट) का जख्म : आम की भुनी हुई गुठली की गिरी का चूर्ण बनाकर खाने से आंतों की कमजोरी मिट जाती है।
70. गंजेपन का रोग : एक साल पुराने आम के आचार के तेल से रोजाना मालिश करने से गंजेपन का रोग कम हो जाता है।
71. गैस्ट्रिक अल्सर : पके मीठे और रस युक्त आम को छानकर सेवन करने से गैस्ट्रिक अल्सर में लाभ होता है।
72. कब्ज (गैस) होने पर : आम को खाने के बाद दूध पीने से शौच खुलकर आती है और पेट साफ होता है।
73. सिर की रूसी : आम की गुठली और हरड़ दोनों को बराबर मात्रा में लें और इसे दूध के साथ पीसकर सिर में लगायें। इससे रूसी मिट जाती है।
74. गर्भधारण : आम के पेड़ का बान्दा पानी के साथ बारीक पीसकर मासिक धर्म खत्म होने के 2 दिन बाद सुबह के समय गाय के कच्चे दूध में मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसके सेवन के बाद सेक्स करने से गर्भ ठहरता है।
75. दस्त होने पर :
आम और जामुन के पत्तों को पीस लें। इससे प्राप्त रस को 5-5 ग्राम की मात्रा में थोड़ा शहद मिलाकर एक दिन में 2 से 3 बार चाटें। इससे अतिसार यानी दस्त के साथ होने वाली उल्टी, बुखार (ज्वर) और प्यास आदि समाप्त हो जाती है।
आम की गुठली के चूर्ण को लगभग 15 ग्राम की मात्रा में ताजे दही के साथ खाने से लाभ मिलता है।
आम की गुठली की गिरी 25 ग्राम, जामुन की गुठली 25 ग्राम और भुनी हुई हरड़ को 25 ग्राम की मात्रा में पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण को पानी के साथ दिन में 2 से 3 बार पीने से लाभ होता है।
आम के फूल (बौर) को पीसकर उसमें 1 चम्मच दही को मिलाकर खाने से लाभ प्राप्त होता है।
आम की गुठली को पानी में अच्छी तरह घिसकर पीने और नाभि पर लगाने से लूज मोशम (अतिसार) में आराम मिलता है।
आम की गुठली, नमक, सोंठ, बेल की गिरी और हींग को पानी में घिसकर लगभग 2 ग्राम की मात्रा में 1 दिन में 2 से 3 बार पीने से आमातिसार और हल्के दस्तों में लाभ मिलता है।

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